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Nandita Mahtani hosts a birthday party for Tusshar Kapoor

http://www.sakshatkar.com/2017/11/nandita-mahtani-hosts-birthday-party.html

प्रभात खबर और हिंदुस्तान को एसकार्ट एजेंसी चलानी चाहिये



प्रभात खबर और हिंदुस्तान को एसकार्ट एजेंसी चलानी चाहिये




दोनो नें पत्रकारो को बना दिया है रंडी

एक कहावत है बुडा वंश कबीर का जन्मा पुत कमाल । आज के संदर्भ में यह बात बि्रला घराने कि शोभना भरतीया पर चरितार्थ हो रही है . बिरला जबतक रहें तबतक तो ठीक-ठाक रहा लेकिन शोभना के हाथ में कमान आते हीं न सिर्फ़ हिंदुस्तान के कंटेंट में गिरावट आती गई बल्कि अन्य अखबारों की तर्ज पर यह भी विग्यापन के लिये सरकार का भोंपू मात्र बनकर रह गया है । नीतीश कहीं पेड का पैधा लगा रहे हैं तो वह मेन पेज की खबर बनती है । एक अखबार में हीं नही बल्कि तीन- तीन अखबार इसी एक खबर को मुख्य पर्ष्ठ पर लेकर आते हैं।




एक दुसरे के प्रतिद्वंदी अखबार अगर एक हीं खबर वह भी प्रचारात्मक छापे इसका अर्थ है किसी के निर्देश पर यह हो रहा है . शोभना भरतीया का काम है अपने अखबार पर नियंत्रण रखना । अखबारों के लिये आपातकाल से ज्यादा खराब स्थिति आज है । बिहार का कोई भी अखबार सरकार के खिलाफ़ छापने की हिम्मत नही जुटा पा रहा है । अक्कू श्रीवास्तव सच लिखने का अंजाम भुगत चुके हैं। अक्कू एक स्तरहीन संपादक हैं । जो आदमी एक फ़िल्म अभिनेता से मिलने के लिये तिकडम भिडाता चल रहा हो , वह कभी पत्रकार नही हो सकता ।



एक घटना सुनील दुबे के कार्यकाल में हुई थी । गया के मगध विश्वविद्यालय के खिलाफ़ समाचार छपा था हिंदुस्तान में । कुलपति ने चमचों के द्वारा धमकी दिलवाई विग्यापन बंद कर देने की । बात सुनील दुबे तक पहुंची । उन्होने अपने गया प्रभारी का हौसला बढाते हुये कहा था , बिरला जी को आठ-दस लाख रुपये का विग्यापन मिले न मिले कोई फ़र्क नही पडता लेकिन दब कर रिपोर्टिंग नही करना। वह तब की बात थी । आज एक खबर छापने के कारण हिंदुस्तान प्रबंधक ने अक्कू श्रीवास्तव को पैंट उतारकर नीतीश के प्रोग्राम के कवरेज के लिये जहानाबाद भेज देता है ।



सबसे अधिक आय वाला आसान व्यवसाय है वेश्यावर्ति । जो पत्रकार लिखने में समझौता करते है , वह कालगर्ल का धंधा शुरु कर दे ज्यादा आय होगी

डर है पैसे की हवस में शोभना भरतीया कहीं राडिया न बन जायें।


प्रभात खबर ने भी ्सता के शीर्ष पर फ़ैले भ्रष्टाचार को कायम रखने के लिये एक अनोखी पहल शुरु की है । भ्रष्टाचार के खिलाफ़ जंग के नाम पर अपने प्रथम पर्ष्ठ पर किसी न किसी स्वनामधन्य लेखक का एक लेक्चरनुमा आलेख के प्रकाशन का । हर रोज किसी न किसी विभाग में निचले स्तर पर फ़ैले भ्रष्टाचार की कहानी छापता है प्रभात खबर और एक दो कानून का हवाला देते हुये पाठकों से अपील करता है कि भ्रष्टाचार से लडे । विभिन्न विभागो के उच्चाधिकारियों का फ़ोन न० , ईमेल देकर लोगों से आग्रह करता है अपनी शिकायत दर्ज कराने का । । सरसरी नजर से देखने पर लगता है सचमुच में एक अच्छा काम कर रहा है , लेकिन पढने के बाद अहसास होता है कि प्रभात खबर आम जनता को हीं भ्रष्टाचार के लिये दोषी साबित कर रहा है । लेनेवाले हाथों के बारे में खामोश रहता है देनेवाले को उपदेश देता है , मत दो घूस । इससे ज्यादा बेहुदी खबर या अभियान मैने नही देखा है ।


किसे शौक है घूस देने का। शिकायत किसको करे जनता, जब मंत्री तक भ्रष्ट है ? मंत्री के भ्रष्टाचार को उजागर करने में क्यों फ़ट रही है प्रभात खबर की । आंगनबाडी में हरेक केन्द्र को दो हजार रुपया महीना देना पडता है , हिम्मत है बिना मंत्री की शह के सीडीपीओ दो –दो हजार प्रत्येक केन्द्र से वसूल करे। नगर निगम में भोला सिंह मंत्री था , उसका एक नाती या पोता था , नाना की दलाली वही करता था । वह २५ हजार रुपये तक घूस लेता था। नीतीश को ईमेल किया । भाजपा के वेब साईट पर जाकर ईमेल किया । कुछ नही हुआ । ठेके के काम में अठारह प्रतिशत तक कमीशन है । उपर पैसा जाता है तब आवंटन होता है । हरिवंश क्या कर रहे हैं ? क्या यही पत्रकारिता है । अगर पैसा हीं कमाना उद्देश्य है तो, कोई एस्कार्ट एजेंसी चलायें। नई-नई बालाओं का आनंद भी मिलेगा और बडे लोगों से रिश्ते भी बनेंगें ।
Sabhar:-biharmedia.com

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