कल रात करीब दस बजे अमिताभ जी का मोबाइल फोन बजा तो उन्हें बहुत खुश होकर दूसरी तरफ के व्यक्ति को बधाइयां देते हुए सुना. यह भी कहते सुना कि सोलह तारीख को लखनऊ आना, अवश्य मुलाक़ात करूँगा. फोन रखे जाने पर तुरंत जिज्ञासास्वरूप पूछा कि कौन थे. प्रसन्न अमिताभ जी ने बताया कि फरजंद अहमद को बिहार सरकार ने बिहार राज्य सूचना आयोग में सूचना आयुक्त बनाया है.
इंडिया टुडे जैसी प्रतिष्ठित मैग्जीन में वर्षों तक सीनियर लेवल पर काम करने के बावजूद जिस फरजंद अहमद को लेश मात्र का गुमान और घमंड नहीं हुआ था और जिनके पास लखनऊ, दिल्ली या पटना में अपना एक मकान तक नहीं बन पाया था, उन्हें मैं लंबे समय से पत्रकारिता के सच्चे सिपाही के रूप में जानती हूं. मैं उनसे यदा-कदा मिलती भी रहती थी और फोन से भी बातें होती रहती थी.
मेरे मन में उनके प्रति बहुत सम्मान है. इसीलिए जब वे इंडिया टुडे से हटे थे तो मुझे इसका कष्ट हुआ था क्योंकि अपने पेशेगत ईमानदारी के कारण वे ऐसा कुछ नहीं कर पाए थे जो ऐसे स्थानों पर रहने वाले कुछ पत्रकार कर लेते हैं और अपने भविष्य के प्रति निश्चिन्त हो जाते हैं. वर्तमान हालातों में उन्हें आर्थिक सुदृढता की जरूरत थी, और उनकी खुद्दारी थी कि उन्हें बहुत अधिक झुकने नहीं दे रही थी.
ऐसे में बिहार सरकार का यह प्रस्ताव और उनकी सूचना आयुक्त के पद पर नियुक्ति एक साथ कई सारे उद्देश्य पूरा कर रही है. एक तो फरजंद साहब अब पांच सालों तक अपनी आर्थिक चिंताओं को ले कर मुक्त हो गए हैं और दूसरे उन्हें एक बहुत ही प्रतिष्ठित पद भी मिला है जिसके वे हमेशा से हकदार थे. तीसरी बात यह कि अपनी ईमानदारी और कर्तव्यनिष्ठा से वे इस जिम्मेदारी के पद पर अपना बहुत भारी योगदान दे सकेंगे जिससे सूचना की पारदर्शिता की क्रान्ति और आगे फैलने में मदद मिलेगी.
मैं एक निकटस्थ के रूप में और एक आरटीआई एक्टिविस्ट के रूप में फरजंद साहब को उनकी इस नियुक्ति पर बहुत सारी शुभकामनाएं देते हुए यह भी निवेदन करती हूँ कि वे इस पद की गरिमा को उसी तरह बनाए रखें जैसा उन्होंने अब तक अपनी पत्रकारिता के जीवन में किया है, साथ ही आरटीआई के आंदोलन को नयी दिशा देने में भी अपना योगदान देंगे
डॉ नूतन ठाकुर
कन्वेनर
नेशनल आरटीआई फोरम
लखनऊ
Sabhar:- Bhadas4media.com
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