शौक के तौर पर शुरू किए श्रीमती रजनी बेक्टर के कैरियर ने उन्हें किचन से बोर्ड रूम तक पहुंचा दिया। श्रीमती बेक्टर ने क्रीमिका एग्रो फूड लि. की शुरूआत मात्र 300 रुपये से १९८२ में की थी।
आज कंपनी का व्यवसाय 700 करोड़ रुपये तक पहुंच चुका है। मुख्य रूप से बेकरी, स्नेक्स और सॉस बनाने वाली यह कंपनी अपने प्रस्तावित आईपीओ के जरिये पूंजी बाजार से 800 से 1000 करोड़ रुपये जुटाने की तैयारी कर रही है।इस पूंजी से कंपनी अपनी भावी विस्तार योजनाओं को सिरे चढ़ाएगी। कंपनी अब दूध प्रोसेसिंग कारोबार में उतरने जा रही है। इसमें पैकेज्ड दूध के साथ-साथ दूध पाउडर बनाने की योजना शामिल है। तमाम फूड प्रॉडक्ट क्रीमिका एग्रो फूड के अलावा बेक्टर ग्रुप की मिसेज बेक्टर फूड स्पेशिएलिटीज लि. और दूसरी कंपनियों द्वारा बनाए जाते हैं।
शौक, लगन और मेहनत का ऐसा मेल हुआ कि किचन से बोर्ड रूम की मंजिल इनके लिए आसान हो गई। जिस दौर में महिलाओं पर कई तरह के पर्दे थे, उस दौर में कारोबार शुरु करने वाली गृहणी रजनी बैक्टर एक ऐसी महिला उद्यमी के रूप में उभरी कि वह आज की पढ़ी लिखी बोर्ड रूम संचालित करने वाली महिलाओं के लिए भी एक मिसाल हैं। फूड प्रॉडक्ट्स का इनका कारोबार अब क्रीमिका ब्रांड के रुप में अपनी खास पहचान बना चुका है।बैकरी व स्नेक्स उत्पाद निर्माता क्रीमिका एग्रो फुड लिमिटेड की मैनेजिंग डायरेक्टर रजनी बैक्टर ने अपने करियर की उड़ान भरने के साथ साथ सामाजिक सरोकार में भी अहम पैठ बनाई है। कॉरपोरेट सामाजिक दायित्व निभाने के लिए इन्हें महिला उद्यमी के रुप में राज्य एवं राष्ट्रीय स्तर पर कई पुरस्कार मिल चुके हैं। बढ़ती उम्र के चलते उन्होंने कंपनी के कारोबार का दायित्व अपने बेटों एवं बहुओं पर डाल दिया है लेकिन अभी भी कंपनी को आगे ले जाने में उनकी मेहनत कम नहीं हुई है।
पाकिस्तान कराची में जन्मी रजनी बैक्टर के मुताबिक उनकी पढ़ाई दिल्ली में ही हुई है। शादी के बाद वह लुधियाना की हो गईं। अपने पति का सहयोग मिलने के चलते उन्होंने अपना नाम फूड प्रोसेसिंग इंडस्ट्री में स्थापित किया है। उन्होंने अपने कारोबार की शुरुआत क्लबों या अन्य तरह के लगने वाले मेलों में अपने उत्पाद आईसक्रीम से की थी। यह शुरुआत 300 रुपये में हुई थी।इस राशि से उन्होंने हाथ चालित मशीन एवं छोटे से ओवन से आइसक्रीम बनानी शुरु की थी। मेलों में उन्हें काफी अच्छा प्रतिसाद मिला। इसके चलते उन्होंने अपने कारोबार को आगे फैलाने की योजना बनाई। इसके तहत ही उन्होंने 80 के दशक में क्रिमिका कंपनी रजिस्टर्ड करवाई। उस दौरान उनका कंपनी में निवेश 20 हजार रुपये का था।
श्रीमती बेक्टर बताती हैं कि उनके उत्पादों की अच्छी गुणवत्ता के चलते ही मैक-डोनाल्ड ने देश में अपने कारोबार की शुरूआत से ही उनकी कंपनी के सॉस एवं बंद का इस्तेमाल करना शुरू किया। उनका कहना है कि मैकडोनाल्ड के रेस्टोरेंटों में 80 फीसदी उत्पाद बेक्टर के ही इस्तेमाल हो रहे हैं।कंपनी के बिस्कुट एवं सॉस यूरोपीयन एवं अफ्रीकी देशों में भी निर्यात हो रहे हैं। विश्व स्वास्थ्य संगठन की तरफ से जब भी बिस्कुटों की मांग होती है तो उन्हें आर्डर जरुर मिलता है। इस मेहनत की बदौलत अब उनका कारोबार 700 करोड़ रुपये के करीब पहुंच गया है।श्रीमती बैक्टर के मुताबिक, शादी के दौरान उनके पति धर्मवीर बेक्टर अपने पुश्तैनी फर्टिलाइजर कारोबार से जुड़े हुए थे। उस दौरान उन्हें आइसक्रीम तैयार कर इसे दूसरों को परोसने का काफी शौक था जिसे उन्होंने प्रोफेशन के रुप में आगे बढ़ाना शुरु किया।इसमें उनके पति की तरफ से पूरा सहयोग मिला जिसके चलते वह इस कारोबार में आगे बढऩे में सफल हो पाई हैं। देश भर से चुनी गई बीस सफल महिलाओं में उन्हें तत्कालीन राष्ट्रपति अब्दुल कलाम से सम्मान हासिल हुआ था। वहीं राज्य स्तर पर भी वह बड़ी संख्या में सम्मान हासिल कर चुकी हैं।
ब्रेड, आइसक्रीम, बिस्कुट, सॉस, बंद के उत्पादों के साथ साथ अब कंपनी ने अपने कारोबार में विस्तार की योजना बनाई है। इसके साथ ही, कंपनी जल्द ही 800 से 1000 करोड़ रुपये का आईपीओ भी बाजार में उतारने की तैयारी कर रही है।कंपनी की आगामी योजनाओं में दूध प्रोसेसिंग क्षेत्र भी शामिल है जिससे कंपनी अपने कारोबार में विस्तार करेगी। इसमें पैकेज्ड दूध के साथ साथ दूध पाउडर तैयार करने की योजना बनाई गई है।
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