चंडीगढ़। 25 साल बाद शनिवार को फिर स्कूल जाने की तैयारी करनी थी। इस दिन के लिए नई ड्रेस सिलवाई थी। क्रेज था अपने पुराने दोस्तों से मिलने का। क्लास की लड़कियों को देखने का कि आज वो कैसी दिखती हैं। सीनियर मॉडल सैकंडरी स्कूल 16 के 1986 बैच के तमाम स्टूडेंट आज फिर स्कूल में इकट्ठे हुए। ऐसे में जेहन में घूम रहे थे वही पुराने चेहरे। इनमें से बहुत से तो ऐसे थे जो पूरे 25 साल बाद ही एक- दूजे को देख रहे थे। हालांकि स्कूल का टाइम आज बदला हुआ था। माहौल भी बिल्कुल अलग। यहां अनुशासन भी था तो हंसी ठिठौली भी थी। बस फर्क सिर्फ इतना था कि तब सभी 10वीं क्लास में थे और आज सभी अलग-अलग देशों में अपने-अपने काम में जुटे हैं।
प्रार्थना के भी वही दिन: स्कूल के इस दिन की शुरूआत प्रार्थना से ही हुई। प्रौढ़ हो चुके इन बच्चों को आज काबू में करने के लिए एक बार फिर दीवान सर को स्टेज पर आना पड़ा। तब जाकर इनकी 'चूं-चपड़Ó बंद हुई। दीवान सर यानी अनुशासन का दूसरा नाम। जिनके नाम से ही बच्चों की कंपकंपी छूट जाती थी। हालांकि आज उन्हें अपने सामने पा इनके चेहरे खिले हुए थे।
नहीं बोली 'वोÓ लाइन : प्रार्थना के बाद की जाने वाली प्रतिज्ञा में एक लाइन होती है 'सभी भारतीय मेरे भाई-बहन हैं।Ó यह लाइन पीछे वाले बच्चे तब भी नहीं बोलते थे और आज भी पीछे खड़े बच्चों ने यह लाइन नहीं बोली। जब क्राइम ब्रांच के इंस्पेक्टर नीरज सरना रंगे हाथों पकड़े गए तो कहा 'अगर मैं ये लाइन बोलता तो शादी कैसे करता क्योंकि मैंने अपनी क्लासमेट से ही शादी की है।Ó
यादों की गैदरिंग : अल्का सूद की निगाहें जैसे ही अपने साथी दीपक और हितेष पर पड़ी उनके मुंह से निकल पड़ा 'बिल्कुल नहीं बदले यार तुम और हितेष तुम भी।Ó यहां स्कूल में खड़े होकर छोले कुलचे खाना ये लोग नहीं भूले। इस साइकल पर भी भीड़ लगी रही और प्रार्थना के लिए भी एक-एक का नाम अनाउंस कर उन्हें बुलाना पड़ा। प्रार्थना के बाद शुरू होता बातों का सिलसिला जो अक्सर लोग अरसे बाद मिलने पर किया करते हैं।
फेसबुक बनी मददगार : ये गैदरिंग फेसबुक से शुरू हुई। चंडीगढ़ में ही रहने वाले कुछ स्टूडेंट्स ने मिलकर अपने पुराने दोस्तों को खोजा और इसकी योजना बना डाली। इस बैच का हर छठा स्टूडेंट आज विदेश में बस गया है, लेकिन स्कूल के दिन उन्हें यहां तक खींच लाए।
86 में 66 : गैदरिंग में और उत्साह भर दिया 46 साल बाद अपने स्कूल लौटे 1966 बैच के पासआउट जोरा सिंह भुल्लर ने। जोरा सिहं ने स्कूल के सामने लगा बैनर देखा और खुद को पांच मिनट के लिए ही सही, लेकिन इस गैदरिंग का हिस्सा बनने से रोक नहीं पाए। उनके दो किस्से हैं। एक कि वह 17 किलोमीटर साइकिल चलाकर स्कूल आते थे। और दूसरा उनकी इसी आदत पर एक ब्रिगेडियर साहब को सुनना पड़ गया था, जिनकी बेटी 300 मीटर से कार से आया करती थी। स्कॉलरशिप : नीरज सरना सहित छह स्टूडेंट्स ने मिलकर आर्थिक रूप से कमजोर और आउटस्टैंडिंग स्पोट्र्समैन के लिए हर महीने 500-1000 रुपए की स्कॉलरशिप का ऐलान किया। इसकी राशि इस फंड में लोगों के बढ़ते जाने के साथ ही बढ़ा दी जाएगी।
स्कूल से निकले धुरंधर
भूपेंद्र सिंह हुड्डा : मुख्यमंत्री, हरियाणा
मनीष तिवारी : प्रवक्ता कांग्रेस
कपिल सिब्बल : मानव संसाधन मंत्री
अंबिका सोनी : सूचना एवं प्रसारण मंत्री
विनोद शर्मा : विधायक, अंबाला सिटी
प्रार्थना के भी वही दिन: स्कूल के इस दिन की शुरूआत प्रार्थना से ही हुई। प्रौढ़ हो चुके इन बच्चों को आज काबू में करने के लिए एक बार फिर दीवान सर को स्टेज पर आना पड़ा। तब जाकर इनकी 'चूं-चपड़Ó बंद हुई। दीवान सर यानी अनुशासन का दूसरा नाम। जिनके नाम से ही बच्चों की कंपकंपी छूट जाती थी। हालांकि आज उन्हें अपने सामने पा इनके चेहरे खिले हुए थे।
नहीं बोली 'वोÓ लाइन : प्रार्थना के बाद की जाने वाली प्रतिज्ञा में एक लाइन होती है 'सभी भारतीय मेरे भाई-बहन हैं।Ó यह लाइन पीछे वाले बच्चे तब भी नहीं बोलते थे और आज भी पीछे खड़े बच्चों ने यह लाइन नहीं बोली। जब क्राइम ब्रांच के इंस्पेक्टर नीरज सरना रंगे हाथों पकड़े गए तो कहा 'अगर मैं ये लाइन बोलता तो शादी कैसे करता क्योंकि मैंने अपनी क्लासमेट से ही शादी की है।Ó
यादों की गैदरिंग : अल्का सूद की निगाहें जैसे ही अपने साथी दीपक और हितेष पर पड़ी उनके मुंह से निकल पड़ा 'बिल्कुल नहीं बदले यार तुम और हितेष तुम भी।Ó यहां स्कूल में खड़े होकर छोले कुलचे खाना ये लोग नहीं भूले। इस साइकल पर भी भीड़ लगी रही और प्रार्थना के लिए भी एक-एक का नाम अनाउंस कर उन्हें बुलाना पड़ा। प्रार्थना के बाद शुरू होता बातों का सिलसिला जो अक्सर लोग अरसे बाद मिलने पर किया करते हैं।
फेसबुक बनी मददगार : ये गैदरिंग फेसबुक से शुरू हुई। चंडीगढ़ में ही रहने वाले कुछ स्टूडेंट्स ने मिलकर अपने पुराने दोस्तों को खोजा और इसकी योजना बना डाली। इस बैच का हर छठा स्टूडेंट आज विदेश में बस गया है, लेकिन स्कूल के दिन उन्हें यहां तक खींच लाए।
86 में 66 : गैदरिंग में और उत्साह भर दिया 46 साल बाद अपने स्कूल लौटे 1966 बैच के पासआउट जोरा सिंह भुल्लर ने। जोरा सिहं ने स्कूल के सामने लगा बैनर देखा और खुद को पांच मिनट के लिए ही सही, लेकिन इस गैदरिंग का हिस्सा बनने से रोक नहीं पाए। उनके दो किस्से हैं। एक कि वह 17 किलोमीटर साइकिल चलाकर स्कूल आते थे। और दूसरा उनकी इसी आदत पर एक ब्रिगेडियर साहब को सुनना पड़ गया था, जिनकी बेटी 300 मीटर से कार से आया करती थी। स्कॉलरशिप : नीरज सरना सहित छह स्टूडेंट्स ने मिलकर आर्थिक रूप से कमजोर और आउटस्टैंडिंग स्पोट्र्समैन के लिए हर महीने 500-1000 रुपए की स्कॉलरशिप का ऐलान किया। इसकी राशि इस फंड में लोगों के बढ़ते जाने के साथ ही बढ़ा दी जाएगी।
स्कूल से निकले धुरंधर
भूपेंद्र सिंह हुड्डा : मुख्यमंत्री, हरियाणा
मनीष तिवारी : प्रवक्ता कांग्रेस
कपिल सिब्बल : मानव संसाधन मंत्री
अंबिका सोनी : सूचना एवं प्रसारण मंत्री
विनोद शर्मा : विधायक, अंबाला सिटी
Sabhar:- Bhaskar.com
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