शाहजहाँपुर में अमिता सिंह नाम की लड़की सन २००० तक रही...पत्नी की तरह ही रहती थी...उसी का नाम लिखवाया है संसद में अपने बायोडेटा में पत्नी की जगह...नाम बदल कर अमिता नन्द कर दिया अपने नाम का नन्द देकर...सुना कि वह अब गोंडा रहती है...अचानक २००७ में एक १०-११ साल की लड़की को लाकर आश्रम में रखा और कहा भतीजे की लड़की है...वह लड़की शान से रहती है कनखल के आश्रम में...उसकी एक आवाज़ पर सब दौड़ते हैं...ग्यारह साल की लड़की से ऐसा मोह है कि उसे मोबाईल भी दिला रखा है अलग से बात करने को...जबकि आश्रम के फोन से बात हो सकती है... उसी लड़की का सगा भाई बताया जाने वाला लड़का वहाँ कमरों में झाड़ू लगाता है...एक ही परिवार के दो बच्चों के साथ दोगला व्यवहार क्यों...उस लड़की के आश्रम में रहने का कारण पूछा तो कहा कि उसकी माँ मर गयी है...मैंने पूछा कि परिवार में और लोग तो होंगे...जवाब मिला सब हैं पर इसकी देखभाल नहीं कर पायेंगे...कुछ हैरानी हुई...गरीब परिवार था पर उस परिवार में और भी बच्चे थे...माँ के मरने पर उसी लड़की से पल्ला क्यों झाडा परिवार ने? बहुत संभव है कि वह उसी अमितानन्द की बेटी है..वह अब मर गयी या मार दी ईश्वर जाने...जिंदा होगी भी तो उसकी जान खतरे में है...बायोडेटा २००० में भरा गया था...२०१० में अचानक एक आदमी ने दावा किया कि यह विवाहित है और आश्रम अध्यक्ष नहीं हो सकता...क्योंकि आश्रम अध्यक्ष होने के लिये शंकराचार्य परंपरा में दीक्षित व्यक्ति होना चाहिये और वह विवाहित नहीं हो सकता...सबूत के तौर पर उसने वही बायोडाटा लगा दिया जो संसद में दिया गया था... इस बात की जानकारी होने पर इसने आनन्-फानन उसे सही कराया...सभी सूचना भरी गयी सन २००० में और उसमें बदलाव कराया गया है सन २०१० में...
Sabahr:- http://chidarpita.blogspot.com/
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