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इन पांच तरीकों से फ्लॉप हो सकता है अन्ना का आंदोलन


इन पांच तरीकों से फ्लॉप हो सकता है अन्ना का आंदोलन

भूपेश गुप्ता
Story Update : Monday, December 05, 2011    2:21 AM
Anna movement are flops in five ways
लोकपाल के मुद्दे पर 11 दिसम्बर को जंतर-मंतर से धरना देकर सरकार के खिलाफ अन्ना हजारे ने एक बार फिर रणभेरी फूंकी है। लेकिन इस बार सरकार अन्ना के आंदोलन को सीमित रखने के लिए सारे इंतजाम कर चुकी है। इसके लिए दिल्ली पुलिस से लेकर कांग्रेस के शीर्ष नेताओं के बीच संपर्क बनाया जा रहा है। अन्ना के आंदोलन को सीमित दायरे में रखने या फ्लॉप करने के लिए इन पांच तरीकों का इस्तेमाल सरकारी मशीनरी कर सकती है।

टीम अन्ना में मतभेद की खबरों से जन सहभागिता कम करके
कांग्रेस के शीर्ष नेताओं को अलग अलग तरह से टीम अन्ना में मतभेद पैदा होने का भ्रम फैलाने के प्रयास कराए जा सकते हैं। ऐसा होने से जनता में नकारात्मक संदेश जाएगा और अन्ना के आंदोलन को अंधा समर्थन देने वाले लोग उतनी बड़ी तादाद में नहीं जुटेंगे जितना पहले जुड़े थे। इसी तारतम्य में प्रशांत भूषण के कश्मीर संबंधी बयान और उसके बाद उनकी पिटाई तथा टीम अन्ना के अलग अलग बयानों से उसमें दरार डालने की शुरूवात हुई। बाद में किरण बेदी और अरविंद केजरीवाल के बीच भी परस्पर विरोधी बयानों का दौर चला। अब अन्ना हजारे द्वारा राहुल गांधी के सुझाव को समर्थन देने और टीम अन्ना द्वारा विरोध करने को लेकर भी कांग्रेस नेता बयान कर रहे हैं, ताकि टीम अन्ना अपने ही बुने जाल में फंस जाए और जनता की सहभागिता खो दे।

दिल्ली की सीमाओं पर कड़ी चैकिंग के बहाने नाकेबंदी करके
दिल्ली में अन्ना के आंदोलन को हरियाणा और उत्तर प्रदेश की तरफ से काफी समर्थन मिलता रहा है। इसलिए सरकार इस बार अन्ना के आंदोलन से पहले गुड़गांव, फरीदाबाद, गाजियाबाद और सराय रोहिल्ला की तरफ से आने वाले ट्रैफिक को नियंत्रित करने की नीति अपना सकती है। सरकार को पता है कि टीम अन्ना के आंदोलन में आने वाले लोगों के लिए हरियाणा से भोजन आता था, इसलिए ऐसी गतिविधियों पर पहले से ही चैकिंग के बहाने नियंत्रण लगाया जा सकता है। सरकार इसके लिए धारा-144 का उपयोग सिर्फ विशेष परिस्थितियों में ही करेगी, क्योंकि दिल्ली पुलिस एक बार अन्ना को गिरफ्तार कर आंदोलन को जरूरत से ज्यादा तूल दिला चुकी है।

संसद के शीतकालीन सत्र में चल रहे गतिरोध का हवाला देकर
संसद के शीतकालीन सत्र की शुरूवात में यूपी के बंटवारे को लेकर दिन भर संसद की कार्रवाई ठप रही। बाद में रिटेल एफडीआई के मुद्दे पर संसद में गतिरोध लगातार बना रहा। पीएम सहयोगियों के साथ बैठक और विपक्ष से लगातार चर्चा में बने रहे लेकिन इस गतिरोध ने सत्र में कोई काम नहीं होने दिया इसलिए सरकार लोकपाल जैसे मसलों पर कोई फैसला नहीं ले सकी। ऐसा कहने से सरकार एक तरफ तो लोकपाल को इसी सत्र में पास कराने के अपने वायदे से पीछे हटने के आरोप से बच जाएगी और दूसरी तरफ मामले को अगले सत्र तक लटकाने की मंशा को भी सार्थक ढंग से पेश करेगी।

किरण बेदी और अरविंद केजरीवाल को आरोपी बताकर
किरण बेदी ने एनजीओ संस्थाओं से लिया अतिरिक्त धन वापस देने का ऐलान किया है, और अरविंद केजरीवाल ने पुराना सरकारी धन अपने दोस्त के अकाउंट से जमा कराया है। इसका मतलब यह हुआ कि टीम अन्ना के ये दोनों ही सदस्य पहले ईमानदारी का जो ढिंढोरा पीट रहे थे, वह गलत था। क्योंकि धन वापसी के साथ ही दोनों मामलों में जनता के बीच यह स्पष्ट संदेश जा रहा है कि कहीं न कहीं ये दोनों ही कार्यकर्त्ता धन को लेकर गलत बयानी कर रहे थे। इस तरह भ्रष्टाचार के खिलाफ जंग लड़ने वाली टीम अन्ना खुद भी पाक-साफ नहीं है। ‌इन परिस्थितियों में अन्ना हजारे अकेले पड़ जाएंगे, और जन-सहभागिता के अभाव में आंदोलन फीका रह जाएगा।
भूपेश गुप्ता
अकेले पड़े अन्ना को मेडिकल सहायता के बहाने अनशन तुड़वाकर
स्वाभाविक है कि यदि इस आंदोलन में जनता की सहभागिता इस बार कम करने में सरकार कामयाब हो जाती है तो अन्ना के स्वास्थ्य का हवाला देकर अन्ना का अनशन बड़ी आसानी से फोर्सफुली तुड़वाया जा सकता है। ऐसा इसलिए कि अन्ना यदि अनशन के दौरान बेहोश होते हैं या कुछ गंभीर हालात पैदा होते हैं तो सरकार एक बार फिर फजीहत में फंस सकती है। इसलिए मेडिकल बुलेटिन में अन्ना के स्वास्थ्य का हवाला देकर बीच में ही अनशन तुड़वाया जा सकता है।

संसदीय समिति द्वारा लोकपाल बिल के मसौदे में दो मुद्दों पर यू-टर्न लेने के बाद टीम अन्ना और सरकार के बीच गतिरोध बढ़ गया है। दूसरी तरफ एफडीआई को लेकर संसद लगातार ठप रहने से भी बिल के शीतकालीन सत्र में पास होने की संभावनाएं धूमिल हो रही हैं।
Sabhar:- Amarujala.com

2 comments:

  1. No one is seriously interested in Anna Drama. Anna Team r dictatorial and presume themselves crusader .

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  2. Anna himself is corrupt. He runs 10 Trust and charge fee even for government added free programs. visit my sites to see details, moreover there is concrete evidence of C I A affiliated institutional's involvement and financial support to Anna team.

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