
अस्सी और नब्बे के दशक में रिलीज हुई फिल्मों के सीटी और डीवीडी के ग्राहक ढूढे नहीं मिलते थे। इस कारोबार में लगे दुकानदारों का कहना था कि ऎसा कभी नहीं हुआ जब एक ही दिन में किसी पुरानी सीडी की डिमांड करने वालों की गिनती सैकडों की बजाए हजारों में पहुंच गई हो।
ग्राहकों के बीच सिल्क की किसी भी पुरानी फिल्म की सीडी की डिमांड को पूरा करने के लिए आसपास जहां भी सिल्क की तमिल, तेलुगू, कन्नड या मलयालम फिल्मों की जितनी भी सीडी मिली, उन्होंने खरीद ली।
बाजार में जहां डर्टी पिक्चर की पायरेटेड सीडी 30 से 50 रूपये में मिल रही थी, तो उसी वक्त सिल्क की पुरानी फिल्मों की वीसीडी और डीवीडी 100 रूपये में भी उपलब्ध नहीं हो पा रही थी।
Sabhar:- Bhaskar.com
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