MEDIAKHABAR EXCLUSIVE: ----सुप्रीम एन्क्लेव (मयूर विहार फेज-01) के ठीक सामने तेज रफ्तार में सिल्वर कलर की एक स्टीम आकर रुकी। कार के पीछे बडा सा स्टीगर लगा था- आजतक। आजतक को जिस फांट में लिखा गया था,मुझे देखते ही शक हुआ कि कहीं कुछ गड़बड़ है। नजदीक जाकर देखा तो स्टीगर का रंग ब्रांड कलर से अलग लाल के बजाय केसरिया है। जहां तक मुझे याद है आजतक ने अपना ये रंग नहीं बदला है। पहले ब्लू और व्हाइट( फांट कलर ब्लू और बेस व्हाइट) के बाद से आजतक ने लाल(बेस) और सफेद(फांट) किया है,उसके बाद से अभी तक यही चल रहा है। चैनल की पंचलाइन है-सबसे तेज। लेकिन इस स्टीगर में पहले हमसे रुबरु और उसके बाद नीचे सबसे तेज लिखा था। मेरा शक और गहरा गया। हमसे रुबरु जैसी पंचलाइन या तो फर्जी मीडिया संस्थानों की हो सकती है फिर छोटे-मोटे ऐसे अखबारों/पत्रिकाओं की जिसे मेनस्ट्रीम मीडिया पर नजर रखते हुए हमने कभी नहीं देखा। मुझे ऐसा ही महसूस हुआ। मेरा शक और गहरा गया और फ्रंट साइड जाकर गाड़ी का मुआयना किया। आगे भी वही स्टीगर और साथ ही सफेद रंग से बड़े-बड़े अक्षरों में पार्षद लिखा था। गाड़ी की नंबर प्लेट पर नजर दौड़ाया और नंबर नोट कर लिया- UP 14 M U 7000.
अब मुझे पूरी तरह यकीन हो गया कि ये पूरी तरह फर्जीगिरी है। एक ही गाड़ी में पार्षद और आजतक लिखने का मतलब लोगों के बीच ठसक पैदा करने के अलावे कुछ नहीं था। इसकी सोशल मीनिंग ये भी हो सकती है कि लोगों के बीच प्रभाव या तो मीडिया का बताकर या फिर नेतागिरी करके पैदा किया जा सकता है।
गाड़ियों में फर्जी तरीके से प्रेस लिखवाकर चलना पुरानी हरकत है और नोएडा पुलिस ने इस पर कार्रवाई भी की है। अब स्थिति ये है कि कई बार प्रेस लिखा होने के बावजूद पुलिस आसानी से यकीन नहीं करती। रोककर पूछताछ करने लग जाती है। ऐसे में फर्जीवाड़ों ने इससे आगे का तरीका निकाल लिया और सीधे चैनल का ही नाम लिख दिया। मुझे हैरानी हो रही है कि आजतक का गलत तरीके से इस्तेमाल करते हुए वो शख्स आसानी से घूम रहा है और इस पर कभी किसी ने कुछ कहा तक नहीं। सुप्रीम एन्क्लेव के सामने अधिक लाइट नहीं थी लेकिन गाड़ियों की आवाजाही से बीच-बीच में तेज रोशनी हो जाती। इसी बीच हमने तस्वीर खींचने की कोशिश की जो कि बहुत साफ नहीं आ पाया।
इस संबंध में चैनल को सूचित किया कि आजतक का नाम गलत तरीके से इस्तेमाल हो रहा है। संभव हो तो आपलोग कुछ करें। अब देखिए,सबसे तेज का दावा करनेवाले आजतक के मीडियाकर्मी अपने ही नाम के साथ चार सौ बीसी के मामले को कितनी सजींदगी से लेते हैं।
(विनीत कुमार की रिपोर्ट)
Sabhar-Mediakhabar.com
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