नीतीश के चमचे मंत्री पी के शाही ने अपमानित किया सहारा के पत्रकार को
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नीतीश के चमचे मंत्री पी के शाही ने अपमानित किया सहारा के पत्रकार को
पटना : बिहार के मानव संसाधन विकास मंत्री पीके शाही ने पत्रकारों के सामने एक पत्रकार की इज्जत उतार ली। दरअसल हुआ यह कि कल बिहार के कुछ नामी गिरामी शिक्षा बीट वाले पत्रकार बिन बुलाये मेहमान के जैसे शाही जी के शाही दरबार में घुस गये। इस दौरान राज्यपाल सह कुलाधिपति पर अपना गुस्सा निकालने के बाद शाही ने सहारा के प्रतिनिधि को बुलाया और कहा-
''तुमको शर्म नहीं आती है, जो मन में आता है, उसे बेसिर-पैर की खबर बनाकर चला देते हो, सारी हेकड़ी निकल जायेगी, अगर मानहानि का एक केस कर दिया।''
करीब 5 मिनट तक शाही ने शाही अंदाज में उस पत्रकार की आबरू लूटा और वहां अन्य मौजूद खबरनवीस इस बात से खुश थे कि यह डांट उन्हें नहीं लग रही थी। वैसे शाही के गुस्से की वजह यह रही कि सहारा सहित बिहार के तमाम स्थानीय चैनलों ने यह खबर चलाया था कि शाही जी की पत्नी सबसे अमीर पत्नियों में से एक हैं। सहारा के उस पत्रकार का दुर्भाग्य यह रहा कि शाही जी ने यह खबर केवल सहारा चैनल पर ही देखा था। पी के शाही महाधिवक्ता रहे हैं यह दिगर बात है कि कभी वह अच्छे एडवोकेट नही रहें, सरकारी वकील बनने के लिये अच्छा वकील होना जरुरी नही है, बस आपके अंदर अच्छा चमचा होने का गुण होना चाहिये। शाही की काबिलियत का उदाहरण है उच्चतम न्यायालय द्वारा बिहार शिक्षकों की बहाली के मामले में ली गई क्लास । बिहार के शिक्षको की सूची उच्चतम न्यायालय में दाखिल की गई थी, उस सूची में ढेर सारे ऐसे नाम शामिल थें जिन्होनें पैदा होने के पहले हीं बीएड कर लिया था । नीतीश के शासनकाल में सेंसरशिप लागू है , प्रभात खबर का बेशर्म प्रधान संपादक हरवंश सबसे बडा चमचा है । हिंदुस्तान के अक्कू श्रीवास्तव को नीतीश ने जिस तरह से अपमानित किया , वह सभी पत्रकारों के लिये शर्म की बात थी, उसी तरह आइ नेक्स्ट के पत्रकार द्वारा महात्मा गांधी सेतु पर जाम लगने से संबंधित प्रश्न पुछने पर उसे भी नीतीश ने अपमानित किया था । बिहार के अधिकांश अखबार विग्यापन के लोभ में सरकार के गुणगान में लगे हुये हैं । देखा देखी चमचे मंत्री भी अब रौब झाड रहे हैं। दुर्भाग्य यह है कि एक पत्रकार को जब अपमानित किया जाता है तो दुसरे पत्रकार चुप रहते हैं और कई तो आनंद उठाते हैं । उन लोगों को मेरी एक चेतावनी है, तुम्हारे साथ भी ऐसा या इससे भी बुरा हो सकता है , याद रखना । जिस तरह से नीतीश के शासन में एक वर्ग विशेष की गुंडागर्दी और प्रशासन की गुंडागर्दी बढ रही है, हो सकता है कल किसी पत्रकार की पत्नी या बेटी के साथ बलात्कार हो तो उसे याद रखना होगा कि उसने अपमानित होनेवाले पत्रकार का साथ नही दिया था। इस पीके शाही नामकजमूरे को भी एक उदाहरण देता हूं । किस्मत अच्छी है , हमारे जैसे आदमी को डराने का प्रयास नही किया , सारा दो नंबर का पैसा कहां छुपाकर रखे हो, उसके पीछे लग जाता और तुम्हें अपनी औकात पता चलती, अपनी बेटी उर्वशी के नाम पर बियाडा में जमीन हडपने के मामले में कब जांच होगी कोई ठिक नही , और खुद तो जाओगें हीं बेटी को भी जेल भेजवा दोगे , करुणानिधि की तरह । एक और उदाहरण है, याद होगा अरुंधती ने देश की सर्वोच्च्य न्यायालय को उसकी औकात बता दी थी, मानहानि का केस किया उच्चतम न्यायालय में और उसकी सुनवाई के दौरान फ़िर अरुंधती ने वही बात दुहरा दी। ढाई –तीन सौ जूर्माना और न अदा करने पर एक दिन की कैद की सजा उच्चतम न्यायालय ने सुनाई। अरुंधती ने जूर्माना देने से इंकार किया जेल जाने का निर्णय लिया , यह कहते हुये कि भारत की न्यायिक व्यवस्था को नंगा करना चाहती हूं। बेचारा उच्चतम न्यायालय का न्यायाधिश गिडगिडाते रहा, उसके वकील से कहा आप जमा कर दें लेकिन अरुंधती ने मना कर दिया , एक दिन के लिये जेल गई,भारत की न्यायिक व्यवस्था का सच सामने आ गया । उसका असर भी सुन लो पीके शाही, उच्चतम न्यायालय के मुख्य न्यायधिश ने खुलेआम कहा कि हर आदमी को न्यायालय के निर्णय की स्वस्थ आलोचना का अधिकार है । एक संशोधन भी न्यायालय की मानहानि वाले कानून में किया गया , अब न्यायालय में जब मानहानि का मुकदमा चलेगा तो तथ्यों पर बहस होगी मात्र आलोचना के आधार पर कोई कार्रवाई नही होगी। पीके शाही आप वकील रहे हैं , कितना भ्रष्टाचार किया होगा आपको पता है। पैरवी भी सुनते रहे हैं , वरना आपको सुर्खाब का पर नही लगा है कि आप मंत्री बनाये जातें।
पीके शाही करोडो की संपति के मालिक हैं, गया में भी इनकी संपति है, क्या नीतीश की हिम्मत है जांच कराने की , कैसे अर्जित की यह संपति ।
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