उत्तर प्रदेश के हरदोई जिले में गुजरा साल का आखिरी सप्ताह पत्रकारों पर बहुत भारी पड़ा है। साल का आखिर आते-आते पत्रकारों की दलाली के कारनामे खुलने लगे हैं। एक पर पुलिस में काम कराने के नाम पर पैसे वसूलने का आरोप लगा है तो दो कस्बाई पत्रकार तो थाने में ही इस बात के लिए भिड़ गए कि मुझसे बड़ा दलाल कौन? थाने में ही जूतमपैजार पर पुलिस ने दोनों को हवालात की हवा खिला दी।
जी न्यूज़ उत्तर प्रदेश और जनसंदेश का काम देख रहे आनंद शुक्ल उर्फ़ मुन्ना पर हरदोई शहर कोतवाली में आजाद नगर मोहल्ले के रहने वाले रामकृपाल राठौर ने आठ हज़ार रुपये की धोखाधड़ी करने का आरोप लगाकर मुकदमा दर्ज कराया है। चार साल से पत्रकारिता कर रहे आनंद पर आरोप उसी ने लगाया है जिसकी सिफारिश वो कर रहे थे। दरअसल रामकृपाल ने जो शिकायत की है उसके अनुसार - उसकी अपने मोहल्ले में लड़ाई हो गयी थी, जिसमें पुलिस को देने के नाम पर आनंद ने उससे पैसे लिए लेकिन पुलिस ने उसके ऊपर फिर भी कारवाई कर दी। जब उसने आनंद से पैसे मांगे तो उसने मना कर दिया, जिसके बाद उसने पुलिस से शिकायत की।
वैसे मामले की पृष्टभूमि में जायें तो मामला पुलिस के पैसे पर पत्रकार के कब्जे की नाराज़गी से जुड़ा है। दरअसल पुलिस ने धर्मेद्र कुमार पुत्र श्रीकृष्ण वर्मा निवासी आजाद नगर को गिरफ्तार कर लिया। जनपद गोंडा में सिपाही पद का प्रशिक्षण प्राप्त कर अवकाश पर घर आए इस नए रंगरूट पर चोरी करने का आरोप था और पुलिस ने जब इसको गिरफ्तार किया तो उसके पास से चोरी का माल बरामद हुआ। इस सिपाही को छुड़ाने में आनंद शुक्ला ने पैरवी की तो पुलिस की तरफ से एक लाख रुपये की मांग की गयी। बताते हैं कि सिपाही को छुड़ाने का सौदा पुलिस और सिपाही के परिवार वालों से पचास हज़ार रुपये में पट गया। अब पत्रकार की मुर्गी कोतवाल हलाल करे तो कहां बर्दाश्त होगा, आनंद ने इस की सूचना पुलिस के बड़े अधिकारियों को दे दी, जिसके बाद पुलिस के सिपाही को जेल जाना पड़ा, लेकिन मुर्गी हाथ से निकलने के कारण कोतवाल और पत्रकार में ठन गयी।
इस बीच आनंद ने मामूली विवाद में रामकृपाल की पैरवी की तो खार खाई पुलिस ने आनंद की पैरवी के कारण उस पर शांति भंग की कारवाई कर डाली, इसी कारवाई के दौरान आनंद और रामकृपाल के बीच हुई डील का राज़ सामने आया और कोतवाल ने अपनी ताकत दिखाने के लिए रामकृपाल की तहरीर पर आनंद के खिलाफ मामला दर्ज कर दिया। जिले के कुछ पत्रकारों ने कलेक्ट्रेट में 30 दिसंबर को प्रशासन के साथ हुई बैठक में इस मामले को अनमने ढंग से उठाया भी, लेकिन आनंद पर कारवाई को लेकर विरोध करने की कोई रणनीति नहीं बनाई। दरअसल नरेश अग्रवाल की कृपा से पहले सहारा समय उत्तर प्रदेश में रहने और फिर उनके कहने पर वहां से निकाले जाने और उसके बाद फिर उनकी कृपा से जी न्यूज़ यूपी और जनसंदेश देख रहे आनंद की छवि के कारण हरदोई के तमाम पत्रकार पूरे मामले में जरा सा भी गंभीर नहीं, कन्नी काटे हु हैं।
दिन में यह मामला अभी पत्रकारों के बीच चर्चा का विषय बना था, रात होते होते कस्बाई पत्रकारों के बीच थाने में ही थानेदार के सामने जूते चल गए। यह मामला हरदोई के सांडी कस्बे का है, जहां थाने में दैनिक जागरण के सांडी कस्बे के पत्रकार नरेंद्र, हरपालपुर के जेपी अग्निहोत्री और अमर उजाला के ब्रजेन्द्र ठण्ड में थानेदार की चाय की चुसकियां ले रहे थे, उसी समय सांडी कस्बे के हिन्दुस्तान का चार साल पुराना पत्रकार राजेश अग्निहोत्री भी वहां पहुंच गया। उसके आते ही पहले से बैठा पत्रकारों का समूह वहां से उठ कर चल दिया तो हिन्दुस्तान के पत्रकार ने दलाल होने का फिकरा कस दिया। फिर क्या पत्रकार पहले एक दूसरे की दलाली की खबरें खोलते रहे, फिर घर पर आरोप लगने लगे और उसके बाद जूते लेकर एक दूसरे पर पिल पड़े। बेचार थानेदार काफी देर तक बीच में रहा, लेकिन जब थाने के भीतर ही एक दूसरे के खून के प्यासे हो चुके इन पत्रकारों का दंगल नहीं थमा तो थानेदार ने राजेश अग्निहोत्री और जेपी अग्निहोत्री को सिपाहियों से पकड़वा कर हवालात में ड़ाल दिया और दोनों पर शान्ति भंग का मामला दर्ज कर दिया।
अपने कारिंदे की हरकत की खबर जब जिले पर आई तो दैनिक जागरण ने तो मौके पर जाना सही समझा लेकिन हिन्दुस्तान के जिला प्रभारी अजय शुक्ला रात में ही थाने पर पहुंच गए और अपने पत्रकार की खबर लेने की बजाय थानेदार की खबर लेने में जुट गए कि थाने में जूते खाने और जूते चलाने वाले पत्रकार को चाय पिलाते नज़र आये। उनके इस अंदाज़ की चर्चा अब पत्रकारों के बीच सुर्खियां बन गयी है। हांलाकि आनंद शुक्ला पर मामला दर्ज होने की खबर कुछ अखबारों ने बहुत ही छोटी और टीवी पत्रकार पर मामला दर्ज बिना नाम की छापी, लेकिन कस्बाई पत्रकारों के बीच थाने में जूतम पैजार पर किसी ने भी एक लाईन नहीं लिखी।
Sabhar:- Bhadas4media.com
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