Madan Tiwari ----
बडे हीं तार्किक ढंग से मीडिया पर लगे इस आरोप को कि अन्ना का आंदोलन मीडिया की देन है, राजदीप ने नकारने की कोशिश की है । बात वहीं तक रहती तो कोई अंतर नही पडता, लेकिन उससे भी आगे बढकर राजदीप ने अन्ना का गुणगान फ़िर शुरु कर दिया है । पत्रकार का असली चेहरा उसकी लेखनी में झलकता है । मीडिया के क्षेत्र में आई गिरावट के लिये अगर दस पत्रकारों को दोषी माना जाय तो उनमें से राजदीप भी एक है । प्रभु चावला , बरखा दत, आशुतोष और रवीश जैसे लोगों का एक ग्रुप है। मीडिया को मैनेज करने के लिये इन सबको मैनेज करना पडता है । ये दलाल हैं। प्रभु चावला तो सीधी बात करते करते अपने कमाल पुत्र अंकुर चावला के कारण टेडी बात करने लगें और आजकल वनवास झेल रहे हैं। बरखा पत्रकारों के बीच आने की हिम्मत नहीं जूटा पाती है । अपमानित तो राजदीप भी हो चुके हैं , जब इन्होने बरखा का बचाव करते हुये प्रेस क्लब में भाषण दिया था। ।एडीटर्स गिल्ड के अध्यक्ष चुने जानेवाले ये पहले टीवी संपादक थें। टूजी घोटाले में बरखा का बचाव करने तथा बिहार के नीतीश कुमार के पक्ष में मीडिया को मैनेज करने का दोष इनके उपर है । कैश फ़ार वोट कांड में भी इसका दोगलापन सामने आया था । भाजपा ने बहुत हीं ठोक ठठाकर राजदीप को स्टिंग आपरेशन के लिये चुना था । शर्त यह थी कि लोकसभा की कारवाई के पहले हीं राजदीप वोट के लिये कैश लेनेवाली सीडी को एयर करेंगें। राजदीप ने एन मौके पर सौदा कर लिया , और जब भाजपा ने देखा कि लोकसभा शुरु हो गई , कोई प्रसारण आइबीएन के द्वारा शुरु नही किया गया जबकि अहमद पटेल और अमर सिंह के घर का भी श्टिंग हुआ था । भाजपा के पास कोई रास्ता नही था, नोट को संसद में लहराने लगें भाजपा सांसद ।
Sabhar :- http://biharmedia.blogspot.com/2011/07/blog-post_3586.html
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