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Nandita Mahtani hosts a birthday party for Tusshar Kapoor

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दलालों और राजनेताओं के लिए सबककारी फैसला


दलालों और राजनेताओं के लिए सबककारी फैसला

 (विष्णुगुप्त)।कारपोरेटेड दलाल और राजनेता सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले और प्रहार से सबक लेंगे या नहीं? अब कारपोरेटेड घरानों के दलाल राजनेताओं को  खुशफहमी तोड़ लेनी चाहिए कि उन पर भारतीय कानून और संविधान का प्रहार नहीं होगा। टेलीकॉम क्षेत्र की १२२ कंपनियों का लाईसेंस रद्द होना स्वाभाविक ही है, इसलिए कि टेलीकॉम की १२२ कंपनियों ने गड़बड़ झाला कर कौड़ियों के भाव में टू जी स्पेक्ट्रम खरीदा था और भारत सरकार को एक लाख ७६ हजार करोड़ का चूना लगाया था। टू जी स्पेक्ट्रम घोटाले में लुटेरी टेलीकॉम कंपनियों और भारत सरकार की मिली भगत थी। मनमोहन सिंह सरकार की ईमानदारी और जिम्मेदारी भी बेपर्दा हो गयी है।
सुप्रीम कोर्ट का यह निर्णय न केवल ऐतिहासिक है बल्कि राजनेताओं के लिए एक सबक भी है। देश के राजनेता,  जनसेवा के बदले कारपोरेटेड हित की सेवा करने में लगे हुए हैं और सरकारी धन व गरीबों के हित को लूटने के लिए कारपोरेटेड घरानों के लिए सुरक्षित रास्ते बनाते हैं, नियम कानून भी बनाते/बदलते हैं। मनमोहन सिंह और उनकी सरकार में थोड़ी सी भी नैतिकता होती तो सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद इस्तीफा देना ही अपना कर्तव्य समझती। सुप्रीम कोर्ट द्वारा टू जी स्पेक्ट्रम के आवंटन को रद्द करने के दिये गये आदेश से साबित हो गया है कि प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह और उनकी सरकार की सामूहिक जिम्मेदारी की विफलता थी। सरकार का मुखिया होने के नाते मनमोहन सिंह का दायित्व था कि वह कौड़ियों के भाव में बेचे जा रहे टू जी स्पेक्ट्रम पर रोक लगाते। अगर मनमोहन सिंह अपना दायित्व निभाते तो देश का एक लाख ७६ हजार करोड़ का नुकसान कभी नहीं होता। टू जी स्पेक्ट्रम घोटाले में सिर्फ ए राजा को ही बलि का बकरा नहीं बनाया जा सकता बल्कि पी चिदम्बरम भी इस घोटाले में फंसे हुए हैं।वित्त मंत्रालय अपने एक आकलन में यह स्वीकार कर चुका है कि तत्कालीन वित्तमंत्री पी चिदम्बरम की अनदेखी और उदासीनता के कारण ही टू जी स्पेकट्रम की लूट हुई थी। कोर्ट की सख्ती के कारण ए राजा और टेलीकॉम घरानों के लूटेरे जेलों में जरूर बंद हुए पर सच्चाई यह है कि कई औद्योगिक घराने ऐसे हैं जो अभी भी जेल से बाहर हैं और मनमोहन सरकार उन्हें बचाने में लगी हुई है। सीबीआई केन्द्र सरकार का पिट्ठू है। अगर सुप्रीम कोर्ट का दबाव और चाबुक सीबीआई पर तना नहीं होता तो मनमोहन सरकार स्पेकट्रम घोटालेबाजों को सीबीआई के माध्यम से बचा लेती। क्या साख गंवाने के बाद भी मनमोहन सरकार टू जी स्पेकट्रम घोटाले के दाग को धोने के लिए तैयार है? असली सवाल यही है।
तथ्य बहुत ही जहरीला है। टू जी स्पेक्ट्रम नीलामी में न केवल सरकारी धन की लूट हुई है बल्कि देश की सुरक्षा के साथ भी खिलवाड़ किया गया। कई ऐसी कंपनियों को टू जी स्पेक्ट्रम बेचा गया जिसके स्वामित्व को लेकर न केवल विवाद था बल्कि गुप्तचर सुरक्षा एजेंसियों की भी आपत्ति थी। कालेधन का खेल तो था ही, इसके अलावा सबसे चिंताजनक बात यह रही है कि टू जी स्पेकट्रम खरीदने वाली कंपनियों में दाउद इब्राहिम सहित अन्य देशद्रोहियों के भी पैसे लगे होने की जानकारी बाहर आयी है। नार्वे की टेलीकॉम कंपनी ‘यूनिनॉर’ और यूएई की टेलीकॉम कंपनी ‘एतिसलात’ के मालिकाना हक संदिग्ध हैं। टेलीकॉम कारपोरेट घरानों ने टू जी स्पेकट्रम की लूट के लिए न केवल भारतीय कानून की धज्जियां उड़ायी बल्कि फर्जी नाम से कंपनी भी खड़ी की थी। कई कंपनियों की बैलेंसशीट फर्जी थी। कौड़ियों के भाव में टू जी स्पेक्ट्रम खरीद कर रातोंरात किस तरह और कितने लाभ कमाये हैं टेलीकॉम कंपनियों ने, यह जानकार आपको आश्चर्य भी होगा और चकित भी होना पड़ेगा। यूनिटैक ने तुरंत साढ़े चार हजार करोड़ का लाभ उठाया। यूनिटैक ने १६६१ करोड़ रुपये में लाइसेंस खरीदा था। उसने अपनी ६० प्रतिशत भागीदारी ६२०० करोड़ रुपये में नार्वे की कंपनी टेरीनॉर को बेच दी थी। टाटा औद्योगिक घराना देश में सबसे ईमानदार औद्योगिक घराना माना जाता है। टाटा ने टू जी स्पेकट्रम में लूट का खेल-खेल कर अपनी किस्मत चमकायी। टाटा ने १६०० करोड़ रुपये में लाईसेंस खरीदा और तुरंत अपनी २८ प्रतिशत हिस्सेदारी जापानी कंपनी डोकोमो के हाथ १३ हजार करोड़ में बेच डाली। इसी तरह स्वान, श्याम, रिलांयस और लूप नामक कंपनी ने हजारों-हजार करोड़ का लाभ रातोंरात कमाए हैं। रिलांयस और स्वान की मिलीभगत भी कम कुख्यात नहीं रही है। ये दोनों कपंनियां अनिल अंबानी की ही हैं। स्वान में हिस्सेदारी को लेकर रिलायंस ग्रुप की भूमिका दागदार थी पर अनिल अंबानी ने अपने अधिकारियों को जेल भेजवा कर खुद जेल जाने से बच गये। सीबीआई और मनमोहन सिंह सरकार अनिल अंबानी पर मेहरबान जो रही है। आईसीआईसी बैंक द्वारा दिये गये तथ्य पर सीबीआई ईमानदारी दिखाती तो अनिल अंबानी आज जेल में होते।
मनमोहन सिंह सरकार को सामने सुप्रीम कोर्ट ने लक्ष्मण रेखा खींच दी है। अब मनमोहन सिंह सरकार को टू जी स्पेक्ट्रम की नये सिरे से नीलामी करनी होगी और वह भी बाजार भाव पर। सुप्रीम कोर्ट के फैसले से मनमोहन सिंह की सरकार इतफाक नहीं रख सकती है। पर कुछ लोग ऐसे भी हैं जो टेलीकॉम कंपनियों पर न केवल मेहरबान रहे हैं बल्कि उनकी चिंता से वे भी ग्रस्त हैं। खासकर टेलीकॉम मंत्री कपिल सिब्बल की बेशर्मी भी देख लीजिये। कपिल सिब्बल ने अपनी सरकार की गलती मानने की जगह भाजपा से माफी मांगने की मांग कर दी। कपिल सिब्बल का कहना है कि टू जी स्पेक्ट्रम घोटाला भाजपा की नीतियों के कारण हुआ था। अगर भाजपा-राजग की नीतियां गलत थी तो यूपीए की सरकार ने वह गलत नीतियां बदली क्यों नहीं गयी? खुद कपिल सिब्बल ए राजा को अपने बयानों में कई बार बेदाग घोषित कर चुके हैं। खुद प्रधानमंत्री ने ए राजा के जेल जाने से पूर्व यह मानने के लिए तैयार नहीं थे कि टू जी स्पेक्ट्रम नीलामी में कोई घोटाला हुआ है। जब सीएजी ने टू जी स्पेक्ट्रम में एक लाख ७६ हजार करोड़ के नुकसान होने की रिपोर्ट प्रस्तुत की तब मनमोहन सिंह सरकार के मंत्री और कांग्रेस के मठाधीश सीएजी पर तुल पड़े थे। सीएजी की रिपोर्ट पर कितना हो-हल्ला कांग्रेसियों ने मचाया था, यह भी जगजाहिर है। सीएजी की छवि और प्रतिष्ठा पर धावा तो बोला भी गया था, इसके अलावा सीएजी के अधिकार पर भी उंगली उठायी गयी थी।
कारपोरेटेड अराजकता और लूट वाली नीतियों पर रोक लगेगी? इसलिए कि सुप्रीम कोर्ट ने १२२ टेलीकंपनियों के टू जी स्पेक्ट्रम की लाइसेंस को रद्द कर यह संदेश दे दिया है कि उनकी मनमानी और भ्रष्टाचार पर न्यायिक चाबुक चल सकता है। कारपोरेट कंपनियां आज सरकारी धन को लूटने और गरीबों के अंश से अपनी किस्मत बनाने के लिए कई प्रकार की गांठें बनाती हैं और पैसे पर कारपोरेटेड कंपनियां ईमान खरीद लेती हैं। खासकर राजनेताओं द्वारा कारपोरेटेड कंपनियों की दलाली एक बडी चिंता का बिषय है। हाल ही में केन्द्रीय ग्रामीण विकास मंत्री जयराम रमेश ने कहा था कि उनके पास सबूत हैं कि दर्जनों ऐसे सांसद हैं जिन्हें आमजनों की चिंता न होकर कारपोरेटेड घरानों की चिंता होती है। यानी के वे कारपारेटेड घरानों के दलाल हैं। 
ए राजा के हस्र और टू जी स्पेक्ट्रम घोटाले में पी चिदम्बरम के लपेटे में आने व मनमोहन सिंह सरकार की साख पर लगा बट्टा भी राजनेताओं को कारपोरेटेड दलाली से रोक पायेगा या नहीं? मनमोहन सिंह सरकार को अपनी साख की चिंता अगर है तो उन्हें अनिल अंबानी सहित सभी कारपोरेटेड लुटरों को जेलों में भेजने की कार्रवाई करनी ही होगी। सीबीआई की ईमानदारी पूर्वक सक्रियता सुनिश्चित करनी होगी। 
लेखकः  विष्णुगुप्त वरिष्ठ पत्रकार एवं राष्ट्रीय-अंतर्राष्ट्रीय मुद्दों पर संवेदनशील चिंतक हैं।
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