दिल्ली से जल्द ही एक नया साप्ताहिक अखबार, ‘मुक्त कंठ’ प्रकाशित होने वाला है। यह साप्ताहिक अपने पाठकों को ‘चौपाल से संसद’ तक की खबरों से अवगत करायेगा। 8 से 12 पेज के इस अखबार में राजनैतिक और मीडिया की ही ज्यादातर खबरों को समाहित किया जाएगा। अखबार का मूल्य दो रुपये रहेगा। ‘मुक्त कंठ’ के संपादक, अनामी शरण ‘बबल’ ने समाचार4मीडिया को बताया कि ‘मुक्त कंठ’ नामक पत्रिका जो 1984 में बंद हो गई थी, उसी का पुन: प्रकाशन किया जा रहा है। इसका प्रकाशन, बिहार, दिल्ली समेत पूरे देश के पाठकों के लिए होगा। ‘मुक्त कंठ’ का पहला अंक 27 दिसंबर को आयेगा।
औरंगाबाद, देव में साहित्य की खुशबू की कहानी बिखेरने वाली पिता-पुत्र की जोड़ी मशहूर रही हैं। पूर्व सांसद, शंकर दयाल सिंह जो कि जाने-माने रंग कर्मी और साहित्यकार थे। उनके पिता, कामता प्रसाद सिंह भी अपने समय के साहित्यकार थे। ये दोनों पिता-पुत्र एक साहित्यिक पत्रिका, ‘मुक्त कंठ’ निकालते थे। लेकिन, किन्ही कारण से यह पत्रिका 1984 में बंद हो गयी। अनामी का कहना था कि इसी पत्रिका के नाम पर, यह साप्ताहिक अखबार हम निकाल रहे है। हमारी योजना इसके बाद 64 पेज की एक त्रैमासिक पत्रिका, ‘मीडिया मुक्त कंठ’ निकालने की है। ये पूरी तरह मीडिया पर केंद्रित होगी।
अनामी से यह पूछे जाने पर कि वर्षो पहले बंद हुयी पत्रिका को पुन: क्यों शुरू कर रहें है तो उनका कहना था कि पत्रिका के लिए एक पहचान की जरूरत होती हैं। लेकिन ‘मुक्त कंठ’ के साथ ऐसा नहीं होगा। हमारे गांव दियो से 2 बड़े साहित्यकारों का इतिहास जुडा हुआ है। देव के राजा रहे, जगन्नाथ प्रसाद किंकर भी बड़े साहित्य रंगमंची और फिल्म निर्माता थे। मेरी कोशिश हमारे गांव की इन तीन महापुरूषों के द्वारा साहित्य के लिए किए गए महान काम को ही आगे ले जाने की है। हमने अपने गांव की बंद पत्रिका, ‘मुक्त कंठ’ को फिर से शुरू करके नया रूप देने की पहल की है। शंकर दयाल सिंह के पत्रकार पुत्र, रंजन कुमार सिंह नए नारे के साथ दियो औरंगाबाद और पूरे मगध एरिया को नयी पहचान दिलाने की मुहिम चला रहे हैं। रंजन अपने दादा व पिता की साहित्यक परंपरा को ऊंचाई पर ले जाना चाहते है। ‘मुक्त कंठ’ को पुन: प्रकाशित करना रंजन के सकारात्मक काम को आगे बढ़ाने में मदद करना है।
Sabhar- समाचार4मीडिया.कॉम
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