आखिरकार बीसीसीआई को कोई तो जवाब देने वाला मिला। लंबे समय से चले आ रहे प्रायोजक सहारा इंडिया ने कुछ बातों को लगातार अनसुना करने की वजह से करारा जवाब देते हुए बीसीसीआई आज सभी वित्तीय संबंध तोड़ दिए। सहारा ने आईपीएल की खिलाडि़यों की नीलामी से कुछ ही घंटे पहले पुणे वारियर्स टीम का मालिकाना हक भी छोड़ दिया।
पिछले 11 वर्षों से भारतीय क्रिकेट टीम की प्रायोजक रही सहारा ने बीसीसीआई से पहली जुलाई 2010 को नया करार किया था, ये 31 दिसंबर 2013 तक चलना था। नई शर्तों के तहत सहारा बीसीसीआई को हर टेस्ट, वनडे और ट्वंटी20 अंतरराष्ट्रीय के लिए तीन करोड़ 34 लाख रुपए का भुगतान कर रहा था। सहारा इंडिया ने एक बयान में कहा, प्रायोजक के रूप में 11 बरस के साथ के बाद हम निश्चित तौर पर कह सकते हैं कि क्रिकेट काफी अमीर बन गया है। कई अमीर लोग मजबूत इच्छा के साथ क्रिकेट का समर्थन करने के लिए मौजूद हैं। इसलिए हम पूरी मानसिक शांति के साथ बीसीसीआई के अंतर्गत आने वाले क्रिकेट से हट रहे हैं और ऐसा हम भारी मन के साथ कर रहे हैं। सहारा का कहना है कि उसकी भावनाओं को कभी नहीं सराहा गया और कई मौकों पर उसके आग्रह पर कोई विचार नहीं किया गया। अब बर्खास्त हो चुकी कोच्चि टस्कर्स केरल के साथ पिछले साल आईपीएल में प्रवेश करने वाले सहारा ने शिकायत की कि खिलाडि़यों और मैचों की संख्या से संबंधित उसके कई निवदेन बीसीसीआई ने स्वीकार नहीं किए।
आईपीएल के अध्यक्ष राजीव शुक्ला ने कहा है कि आईपीएल से पुणे वारियर्स के हटने के बावजूद नीलामी जारी रहेगी। सहारा ने बयान में कहा, 2008 में आईपीएल में प्रवेश के उसके पहले प्रयास को विफल किया गया। बीसीसीआई ने किसी छोटी तकनीकी खामी के कारण उसे डिस्क्वालीफाई कर दिया। उनकी बोली भी नहीं खोली गई। पिछले साल सहारा ने मीडिया और हर जगह उपलब्ध इस सूचना के आधार पर आईपीएल में प्रवेश किया कि 10 टीमों के बीच 94 मैच खेले जाएंगे। इसी के आधार पर बोली की राशि की गणना की गई लेकिन सिर्फ 74 मैच खेले गए। सहारा अब तक भी बीसीसीआई को लगातार मनाते रही कि उचित अनुपात में अतिरिक्त बोली राशि को लौटा दिया जाए। मगर कड़े नियमों का हवाला देकर इससे इंकार कर दिया गया। 12 सर्वश्रेष्ठ खिलाडि़यों को पहले से मौजूद टीमों ने अपने पास रख लिया। दो नई टीमों ने इसके बाद कम से कम एक अतिरिक्त विदेशी खिलाड़ी रखने की स्वीकृति देने का अनुरोध किया। लेकिन नियमों का हवाला देते हुए इससे भी इंकार कर दिया गया।
आईपीएल में सहारा के सर्वश्रेष्ठ खिलाड़ी कप्तान युवराज सिंह हैं। आईपीएल के इस सीज़न में फेफड़ों के ट्यूमर के कारण युवराज की अनुपलब्धता पर सहारा ने बीसीसीआई से इस बल्लेबाज की कीमत को उसकी खिलाडि़यों की नीलामी की राशि में जोड़ने के लिए कहा था लेकिन उनके इस निवेदन को भी नहीं माना गया। सहारा ने कहा कि चैम्पियन्स लीग टी-20 के दौरान चोटों से जूझ रही मुंबई इंडियंस को टीम में संकट के कारण एक अतिरिक्त विदेशी खिलाड़ी को उतारने की मंज़ूरी दी गई थी। लेकिन पुणे वारियर्स को ऐसी रियायत नहीं दी गयी। सहारा कहती है, 'हमें लगता है कि एकतरफा भावुक रिश्ते को अब आगे नहीं बढ़ाया जा सकता। हम बीसीसीआई के अंतर्गत सभी तरह के क्रिकेट से हट रहे हैं।' कंपनी ने हालांकि कहा कि वह बीसीसीआई को नया प्रायोजक ढूंढने तक प्रायोजन राशि का भुगतान करेगी।
सहारा को दुःख है कि 2003 विश्व कप और कुछ अन्य टूर्नामेंट में आईसीसी के निर्देश पर टीम की शर्ट से उसका लोगो हटा दिया गया। बीसीसीआई से सम्बन्ध तोड़ने के बाद सहारा ने कहा कि वह एक हजार करोड़ वेलफेयर फाउंडेशन में लगाएगा। सहारा वेलफेयर फाउंडेशन में तुरंत 500 करोड़ रुपए डालने की घोषणा की गयी है। सहारा ने कहा है कि कार्यक्रमों की जरूरत के मुताबिक अगले एक से दो साल में इसमें 500 करोड़ रुपए और डाले जाएंगे।
सहारा 20 ग्रामीण-छोटे शहरों में खेल प्रचार केंद्रों का विकास करेगा जिसमें ग्रामीण-छोटे शहरों के क्रिकेट प्रचार केंद्र भी शामिल हैं। कंपनी ने कहा, केंद्रों में विविध खेल जैसे क्रिकेट, हाकी, साकर, फार्मूला वन, टेनिस, गोल्फ, कुश्ती, मुक्केबाजी आदि होंगे। अंतरराष्ट्रीय स्तर की एक खेल अकादमी भी विकसित की जाएगी। सभी चुने गए सर्वश्रेष्ठ छात्रों को इस अंतरराष्ट्रीय स्तर की खेल अकादमी में जगह मिलेगी। सहारा ने साथ ही घोषणा की कि उम्रदराज, संन्यास ले चुके और मौजूदा खिलाडि़यों के लिए सहायता कोष भी बनाया जाएगा ताकि उन्हें मेडिकल खर्चे, बेटियों की शादी, घर बनाने आदि में परेशानी का सामना न करना पड़े। हर साल कम से कम 10 करोड़ बांटे जाएंगे जिसमें से तीन करोड़ क्रिकेटरों और सात करोड़ बाकी खेलों में दिए जाएंगे।
Sabhar- journalistcommunity.com
पिछले 11 वर्षों से भारतीय क्रिकेट टीम की प्रायोजक रही सहारा ने बीसीसीआई से पहली जुलाई 2010 को नया करार किया था, ये 31 दिसंबर 2013 तक चलना था। नई शर्तों के तहत सहारा बीसीसीआई को हर टेस्ट, वनडे और ट्वंटी20 अंतरराष्ट्रीय के लिए तीन करोड़ 34 लाख रुपए का भुगतान कर रहा था। सहारा इंडिया ने एक बयान में कहा, प्रायोजक के रूप में 11 बरस के साथ के बाद हम निश्चित तौर पर कह सकते हैं कि क्रिकेट काफी अमीर बन गया है। कई अमीर लोग मजबूत इच्छा के साथ क्रिकेट का समर्थन करने के लिए मौजूद हैं। इसलिए हम पूरी मानसिक शांति के साथ बीसीसीआई के अंतर्गत आने वाले क्रिकेट से हट रहे हैं और ऐसा हम भारी मन के साथ कर रहे हैं। सहारा का कहना है कि उसकी भावनाओं को कभी नहीं सराहा गया और कई मौकों पर उसके आग्रह पर कोई विचार नहीं किया गया। अब बर्खास्त हो चुकी कोच्चि टस्कर्स केरल के साथ पिछले साल आईपीएल में प्रवेश करने वाले सहारा ने शिकायत की कि खिलाडि़यों और मैचों की संख्या से संबंधित उसके कई निवदेन बीसीसीआई ने स्वीकार नहीं किए।
आईपीएल के अध्यक्ष राजीव शुक्ला ने कहा है कि आईपीएल से पुणे वारियर्स के हटने के बावजूद नीलामी जारी रहेगी। सहारा ने बयान में कहा, 2008 में आईपीएल में प्रवेश के उसके पहले प्रयास को विफल किया गया। बीसीसीआई ने किसी छोटी तकनीकी खामी के कारण उसे डिस्क्वालीफाई कर दिया। उनकी बोली भी नहीं खोली गई। पिछले साल सहारा ने मीडिया और हर जगह उपलब्ध इस सूचना के आधार पर आईपीएल में प्रवेश किया कि 10 टीमों के बीच 94 मैच खेले जाएंगे। इसी के आधार पर बोली की राशि की गणना की गई लेकिन सिर्फ 74 मैच खेले गए। सहारा अब तक भी बीसीसीआई को लगातार मनाते रही कि उचित अनुपात में अतिरिक्त बोली राशि को लौटा दिया जाए। मगर कड़े नियमों का हवाला देकर इससे इंकार कर दिया गया। 12 सर्वश्रेष्ठ खिलाडि़यों को पहले से मौजूद टीमों ने अपने पास रख लिया। दो नई टीमों ने इसके बाद कम से कम एक अतिरिक्त विदेशी खिलाड़ी रखने की स्वीकृति देने का अनुरोध किया। लेकिन नियमों का हवाला देते हुए इससे भी इंकार कर दिया गया।
आईपीएल में सहारा के सर्वश्रेष्ठ खिलाड़ी कप्तान युवराज सिंह हैं। आईपीएल के इस सीज़न में फेफड़ों के ट्यूमर के कारण युवराज की अनुपलब्धता पर सहारा ने बीसीसीआई से इस बल्लेबाज की कीमत को उसकी खिलाडि़यों की नीलामी की राशि में जोड़ने के लिए कहा था लेकिन उनके इस निवेदन को भी नहीं माना गया। सहारा ने कहा कि चैम्पियन्स लीग टी-20 के दौरान चोटों से जूझ रही मुंबई इंडियंस को टीम में संकट के कारण एक अतिरिक्त विदेशी खिलाड़ी को उतारने की मंज़ूरी दी गई थी। लेकिन पुणे वारियर्स को ऐसी रियायत नहीं दी गयी। सहारा कहती है, 'हमें लगता है कि एकतरफा भावुक रिश्ते को अब आगे नहीं बढ़ाया जा सकता। हम बीसीसीआई के अंतर्गत सभी तरह के क्रिकेट से हट रहे हैं।' कंपनी ने हालांकि कहा कि वह बीसीसीआई को नया प्रायोजक ढूंढने तक प्रायोजन राशि का भुगतान करेगी।
सहारा को दुःख है कि 2003 विश्व कप और कुछ अन्य टूर्नामेंट में आईसीसी के निर्देश पर टीम की शर्ट से उसका लोगो हटा दिया गया। बीसीसीआई से सम्बन्ध तोड़ने के बाद सहारा ने कहा कि वह एक हजार करोड़ वेलफेयर फाउंडेशन में लगाएगा। सहारा वेलफेयर फाउंडेशन में तुरंत 500 करोड़ रुपए डालने की घोषणा की गयी है। सहारा ने कहा है कि कार्यक्रमों की जरूरत के मुताबिक अगले एक से दो साल में इसमें 500 करोड़ रुपए और डाले जाएंगे।
सहारा 20 ग्रामीण-छोटे शहरों में खेल प्रचार केंद्रों का विकास करेगा जिसमें ग्रामीण-छोटे शहरों के क्रिकेट प्रचार केंद्र भी शामिल हैं। कंपनी ने कहा, केंद्रों में विविध खेल जैसे क्रिकेट, हाकी, साकर, फार्मूला वन, टेनिस, गोल्फ, कुश्ती, मुक्केबाजी आदि होंगे। अंतरराष्ट्रीय स्तर की एक खेल अकादमी भी विकसित की जाएगी। सभी चुने गए सर्वश्रेष्ठ छात्रों को इस अंतरराष्ट्रीय स्तर की खेल अकादमी में जगह मिलेगी। सहारा ने साथ ही घोषणा की कि उम्रदराज, संन्यास ले चुके और मौजूदा खिलाडि़यों के लिए सहायता कोष भी बनाया जाएगा ताकि उन्हें मेडिकल खर्चे, बेटियों की शादी, घर बनाने आदि में परेशानी का सामना न करना पड़े। हर साल कम से कम 10 करोड़ बांटे जाएंगे जिसमें से तीन करोड़ क्रिकेटरों और सात करोड़ बाकी खेलों में दिए जाएंगे।
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