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Nandita Mahtani hosts a birthday party for Tusshar Kapoor

http://www.sakshatkar.com/2017/11/nandita-mahtani-hosts-birthday-party.html

शाहरुख खान, तुम मुसलमान हो! अपनी औकात में रहो!


एक्सकैलिबर स्टीवेंस विश्वास
तंकवाद के खिलाफ युद्ध के शिकार शाहरुख खान! इसमें कोई संदेह का कारण नहीं है। चूंकि इस युद्ध में अमेरिका और इजराइल के परमाणु गठजोड़ में शामिल हो जाने की वजह से पार्टनर बन गया है भारत, इसलिए बॉलीवुड के बादशाह के मुसलमान होने की वजह से बार-बार हो रही इस फजीहत का औपचारिक विरोध करने के अलावा भारतीय राजनय कुछ भी करने की हालत में नहीं है। मीडिया में शाहरुख कुछ भी कहें, उन्होंने इस सिलसिले में माई नेम इज खान बनाकर पहले ही अपने दिलो दिमाग में पलते सदमे का खुलासा कर दिया है।
शाहरुख जैसे ही येल युनिवर्सिटी जाने के लिए न्यूयार्क के व्हाइट प्लेन्स हवाई अड्डे पर उतरे, उन्हें दो घंटे के लिए हिरासत में ले लिया गया था। येल युनिवर्सिटी ने उन्हें चुब फेलो से सम्मानित किया। हवाई अड्डे में हिरासत में लिये गये हमारे सबसे बड़े स्टार की रिहाई के लिए भारत सरकार कुछ नहीं कर पायी। न भारत के सबसे बड़े रईस मुकेश अंबानी ही उनकी कोई मदद कर सके, जिनकी पत्नी और बेटी के साथ एक ही विमान में अमेरिका पहुंचे थे बादशाह खान। यह तो भला हो येल यूनिवर्सिटी के अधिकारियों का, जब उन्हें अपने अतिथि के साथ हुए हादसे की जानकारी मिली, तब उन्होंने वॉशिंगटन में डिफेंस मिनिस्ट्री, इमिग्रेशन और कस्टम विभाग के अधिकारियों से संपर्क किया। शाहरुख को 2009 में भी अमेरिका के नेवार्क हवाई अड्डे पर कुछ घंटे रोका गया था। अमेरिका में हमारे सबसे काबिल राजनयिक भारतीय दूतावास में तैनात हैं, भारतीय नागरिकों के मामले में उनकी बेबसी इस मामले में भी उजागर हो गयी। फिर भी हम अपने को महाशक्ति बताकर सीना फुलाते रहेंगे?
माई नेम इज खान में अमेरिका के ट्रेड सेंटर के आतंकी हमलों के बाद मुसलमानों को लेकर वहां के मूल निवासियों में फैले आक्रोश जनित हालातों पर फोकस है। बहरहाल ‘माई नेम इज खान’ में बरसों पुरानी सीधी और सादी बात कही गयी है। ‘दुनिया में दो तरह के लोग होते हैं अच्छे या बुरे।’ इस लाइन के इर्दगिर्द निर्देशक करण जौहर और लेखिका शिबानी बाठिजा ने कहानी का तानाबाना बुना है। आखिर बॉलीवुड का अब ग्लोबल बाजार है। माई नेम इज खान ने अमेरिका में खूब खूब कमाई भी की। कारोबारी शाहरुख इससे ज्यादा क्या कह​ पाते। विडंबना ही है कि डॉलर कमाने की होड़ में हमारे तमाम बड़े लोग अमेरिका जाकर भारत की इज्जत उतार आते हैं।
जब भारत सरकार अपने सुपरस्टार की इस बार-बार होने वाली फजीहत के मामले में इतनी असहाय है, तो समझा जा सकता है कि बाकी​ भारतीय नागरिकों, खासकर मुसलमानों के मामले में वह क्या कर सकती है। मुंबई में हुए आतंकवादी हमले और जगह जगह बम विस्फोट के मामले में खुद कुछ न कर पाने की हालत में हमारी सरकार ने आंतरिक सुरक्षा अमेरिकी खुफिया एजंसी सीआईए और इजराइली जासूसी संगठन मोसाद के हवाले कर रखा है। संभावित आतंकवादी हमला रोकने के लिए भी हम वाशिंगटन और तेल अबीब की सूचनाओं पर निर्भर हैं, जिनका मुसलमान विरोधी रवैया कम से कम शाहरुख के मामले में उजागर हो ही गया है। अकारण नहीं कि बम विस्फोट और दूसरी आतंकवादी वारदातों के सिलसिले में बेगुनाह मुसलमानों को बरसों जेल में बंद रहने के मामले सामने आ जाते हैं।
सबसे त्रासद यह है कि उद्योग बतौर बॉलीवुड एकजुट होने का दिखावा करते रहने के बावजूद ऐसे मामलों में मुसलमानों का पक्षधर होने का ठप्पा लग जाने के डर से चुप्पी साधना बेहतर मानता है। ​​पर इस बार कम से कम ऑस्‍कर विजेता साउंड इंजीनियर रसुल पोकुट्टी ने यह साफ साफ कहने की जहमत उठा ही ली कि फिल्म अभिनेता शाहरुख खान के साथ यह घटना मुसलमान होने के कारण घटी है। पोकुट्टी ने ट्विटर पर लिखा है, “न्यूयार्क आव्रजन विभाग ने शाहरुख को हिरासत में लिया। यह साफ है कि ऐसा उनके साथ इसलिए हुआ क्योंकि वह मुस्लिम हैं। यह ऐसे दिन हुआ जब येल युनिवर्सिटी ने उन्हें सम्मानित किया।”
अब देखना है कि इस पर क्या प्रतिक्रिया आती है। सरकार तो इसका खंडन करेगी, यह अपेक्षित है, पर डर यह भी है कि कहीं रसुल पोकुट्टी खुद शक के घेरे में न आ जाएं या उनके खिलाफ तरह तरह के फतवे जारी न होने लगें। मालूम हो कि ऐसे फतवे से बिग बी से ​​लेकर सचिन तेंदुलकर तक सांसत में होते हैं। अपने सह-नागरिकों के भोगे हुए यथार्थ को दिलोदिमाग से खूब महसूस करते हुए भी त्रासदी है कि हमें खुलकर बोलने की आजादी नहीं है।
पोकुट्टी ने यह भी लिखा है, “यह भेदभाव है और उन्हें यह सब बंद करना चाहिए। शाहरुख इसे लेकर बिल्कुल शांत हैं और उन्हें इस घटना पर हंसी ही आयी है। लेकिन यह इतनी सामान्य घटना भी नहीं है, उन्हें अपनी व्यवस्था की समीक्षा करनी चाहिए।”
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​इसके विपरीत जगजाहिर है कि अमेरिका समेत समूची पश्चिमी दुनिया और इजराइल अपने सामान्य से सामान्य नागरिक के साथ खड़े होकर युद्ध तक शुरू करने से पीछे नहीं हटता। इसी तरह विदेशी नागरिकों, खासकर अमेरिकी और पश्चिमी देशों के नागरिकों के मामले में भारत सरकार हमेशा प्राथमिकता से सोचती है। अभी-अभी माओवादियों के कब्जे से इतालवी नागरिकों को छुड़ाने के लिए माओवादियों की मांगों के मुताबिक जेलों में बंद माओवादी तक रिहा कर दिये गये। पर उसी ओड़ीशा में कोरापुट में अपहृत विधायक की रिहाई के लिए सरकार अभी कुछ खास नहीं कर पायी।​
फिल्मस्टार तो क्या हमारे राजनेता और केंद्रीय मंत्री भी जब-तब अमेरिका में कपड़े तक उतार आते हैं और बेइज्जती खुशी-खुशी हजम कर जाते हैं। खुलासा हो जाने पर औपचारिक विरोध दर्ज कर लिया जाता है। यह सिलसिला शायद कभी खत्म न हो।
न्यूयार्क के एक हवाईअड्डे पर करीब दो घंटे तक रोके जाने की घटना पर बॉलीवुड अभिनेता शाहरुख खान ने येल विश्वविद्यालय में अपने मजाकिया अंदाज में कहा कि यह अच्छा था क्योंकि ऐसा हमेशा होता है। ​शाहरुख येल विश्वविद्यालय का सर्वोच्च सम्मान चब फेलोशिप ग्रहण करने के लिए रिलायंस इंडस्ट्रीज के अध्यक्ष मुकेश अंबानी की पत्नी नीता अंबानी के साथ उनके निजी विमान से गुरुवार को न्यूयार्क के ह्वाइट प्लेन हवाईअड्डे पर पहुंचे।​शाहरुख को आव्रजन अधिकारियों ने हिरासत में ले लिया। यह हवाईअड्डा न्यूयार्क से करीब 35 मील की दूरी पर स्थित है।​ आव्रजन अधिकारियों ने अंबानी, जिनकी पुत्री विश्वविद्यालय में साउथ एशियन सोसायटी की अध्यक्ष हैं और उनके समूह को तुरंत हवाईअड्डे से जाने की अनुमति दे दी, जबकि शाहरुख को कार्यक्रम के आयोजकों द्वारा हस्तक्षेप किए जाने और इस मसले को वाशिंगटन के गृह सुरक्षा विभाग के साथ उठाए जाने के बाद ही जाने की अनुमति दी।​ येल यूनिवर्सिटी के अधिकारियों को जब इसका पता चला तो, उन्होंने वॉशिंगटन में डिफेंस मिनिस्ट्री, इमिग्रेशन और कस्टम विभाग के अधिकारियों से संपर्क किया। शाहरुख को 2009 में भी अमेरिका के नेवार्क हवाई अड्डे पर कुछ घंटे रोका गया था।
येल विश्वविद्यालय में छात्रों को संबोधित करने से पहले शाहरुख ने कहा कि जैसा की हमेशा होता है, मैं हवाई अड्डे पर ‘हिरासत’ में हूं।
भारत ने फिल्म अभिनेता शाहरुख खान को न्यूयार्क हवाई अड्डे पर रोके जाने के मामले में कड़ा रुख अपनाते हुए अमेरिका को आगाह किया है कि ऐसी घटनाएं जारी नहीं रहनी चाहिए।
मास्को यात्रा पर गये विदेश मंत्री एसएम कृष्णा ने इस घटना पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए कहा कि इन दिनों यह ढर्रा बन गया है कि पहले किसी को हिरासत में ले लो और फिर माफी मांग लो। उन्होंने अमेरिका में राजदूत निरूपमा राव से इस मामले को अमेरिकी प्रशासन के साथ उठाने को कहा है।
(एक्सकैलिबर स्टीवेंस विश्वास। स्‍वतंत्र पत्रकार। इतिहास और सामाजिक आंदोलनों में रुचि। ब्‍लॉग लिखते हैं और मुंबई में रहते हैं। उनसे xcalliber_steve_biswas@yahoo.co.in पर संपर्क किया जा सकता है।
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