लुधियाना [श्रीधर राजू]। विवादों के चलते एकाएक चर्चा में आए निर्मल बाबा के लुधियाना में रहने वाले बड़े भाई मंजीत सिंह नरूला और उनके परिजन धर्म संकट में हैं। दरअसल, निर्मल बाबा के खिलाफ उनके ही सगे जीजा एवं वरिष्ठ राजनेता इंदर सिंह नामधारी ने मोर्चा खोल रखा है। ऐसे में मंजीत सिंह नरूला और बाकी परिवार के सदस्यों के सामने अजीब धर्म संकट है कि वह निर्मल बाबा और इंदर सिंह में से आखिर किसका समर्थन करें। वहीं, मंजीत सिंह की बीमार माता [94] भी अपने छोटे बेटे निर्मल के इस प्रकरण से अंजान हैं।
शहर के मॉडल टाउन के नजदीक पॉश इलाके में रहने वाले उद्यमी मंजीत सिंह नरूला बातचीत को इसी शर्त पर राजी हुए कि उनके घर के पते का उल्लेख नहीं किया जाए। तस्वीरें भी नहीं खींचने का आग्रह करते हुए उन्होंने भावुक होकर कहा कि उनका परिवार मानसिक रूप से प्रताड़ित नहीं होना चाहता। उन्होंने बताया कि आज भी ज्यादातर पड़ोसी, दोस्त आदि यह नहीं जानते कि निर्मल बाबा उनके सगे छोटे भाई हैं। उनको लेकर विवाद तो अब पैदा हुआ, पहले जब लोग उनसे मिलने को बेकरार रहते थे, तब भी परिवार ने कभी उनसे अपने रिश्ते जान-बूझकर जगजाहिर नहीं किए थे।
नरूला ने निर्मल बाबा से अपने रिश्तों को उजागर नहीं करने को लेकर तर्क दिया कि दरअसल उनके परिवार ने कभी निर्मल बाबा के नाम को भुनाने का लालच नहीं रखा। नरूला ने बताया कि लगभग पांच साल पहले एक पारिवारिक समारोह में निर्मल से मुलाकात हुई थी। खुद कभी बुजुर्ग माता का हाल जानने के मकसद से वही [निर्मल] फोन करते हैं। मां भी निर्मल से लगभग दस साल से नहीं मिली। इसकाएक कारण निर्मल का बाबा के रूप में व्यस्त हो जाना है।
नरूला परिवार के सभी सदस्यों ने भले ही बाबा बनाम नामधारी [जीजा-साले] में वैचारिक मतभेद के मद्देनजर खुलकर कोई टिप्पणी नहीं की, लेकिन इतना जरूर कहा निर्मल बाबा के व्यक्तित्व में कुछ तो है, वर्ना इतने लोग उनके भक्त कैसे बन गए। नामधारी के विरोध के सवाल पर पूरे परिवार ने कोई टिप्पणी नहीं की। बताया जाता है कि निर्मल बाबा उर्फ निर्मलजीत सिंह नरूला का जन्म पटियाला के समाना में हुआ था। पिता की मौत के बाद वर्ष 1962 में पूरा परिवार लुधियाना शिफ्ट हो गया था। निर्मल बाबा ने लुधियाना के गवर्नमेंट कॉलेज से 1972 में बीए की डिग्री ली थी।
मंजीत सिंह ने बताया कि निर्मल पढ़ाई में काफी होशियार था और पढ़ाई करने के तत्काल बाद ही वह व्यवसाय करने के लिए लुधियाना छोड़ कर डाल्टनगंज [झारखंड] अपनी बहन के घर चले गए थे।
(जागरण)
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