बांग्लादेश के दक्षिणी शहर बरीसल के हरिजनों ने सरकार से नौकरियों में आरक्षण की मांग की है। हरिजनों की मांग है कि उन्हें स्वीपर और सफाई के कार्यों में 80 फीसदी आरक्षण दिया जाए। बांग्लादेश में मौजूदा समय में 15 लाख हरिजन हैं। ये सभी ब्रिटिश काल और अखंड भारत के महाराष्ट्र और आंध्र प्रदेश से यहां आए थे। इस समुदाय के 6 हजार लोगों ने स्वीपर और सफाईकर्मियों की नौकरियों में अन्य समुदायों के लोगों को भर्ती किए जाने के विरोध में प्रदर्शन किया। हरिजनों का कहना है कि सरकार उन्हें नजरअंदाज कर रही है। दि डेली स्टार अखबार के अनुसार हरिजनों को आज भी अछूत माना जाता है और शिक्षा, रोजगार और घर से महरूम हैं।उनकी जिंदगी में कोई सुधार नहीं हुआदेश की आजादी और पाकिस्तान के खिलाफ संघर्ष में हिस्सा लेने के बाद भी उनकी जिंदगी में कोई सुधार नहीं हुआ है। बरीसल हरिजन ओइक्कया परिषद के सचिव जोयंत कुमार दास ने कहा कि हमारे पास स्थायी निवास के लिए कोई जमीन तक नहीं है। परिषद के अध्यक्ष लक्ष्मणलाल ने कहा कि शहर के हरिजनों की शिक्षा का औसत 20 फीसदी से भी कम है। उन्होंने कहा कि हमारे इलाके में केवल एक प्राइमरी स्कूल है, जबकि अन्य स्कूलों में हमारे समुदाय के बच्चों को लिया ही नहीं जाता है।
साभार : अमर उजाला.कॉम
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