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Nandita Mahtani hosts a birthday party for Tusshar Kapoor

http://www.sakshatkar.com/2017/11/nandita-mahtani-hosts-birthday-party.html

आजकल मैं 'बे-कार' जो हूं : अमर सिंह

कैसे चुप रहूँ? : आज एक बैठक में स्वर्गीय चंद्रशेखर जी के बेटे नीरज, वित्त मंत्री श्री प्रणव मुखर्जी जी की उपस्थिति में ब्राडबैंड तकनीक की बात करने लगे. मैंने तत्काल कहा कि भाई नीरज कैसे रहूँ चुप? तुम क्या अब भी समाजवादी पार्टी में ही हो जो कम्प्यूटर, ट्रैक्टर और अंग्रेजी विरोधी है या फिर तुम्हे भी मेरी ही तरह निष्काषन का डर नहीं लगता.
सितारों के खिलाफ मेरी पुरानी पार्टी में सितारे मेरे पहले भी थे राजबब्बर जी, और मेरे जाने के बाद भी बदस्तूर कायम हैं, जया बच्चन जी. दोरंगी संस्कृति एवं दोहरे आचरण के मापदंड की सियासत के कई चेहरे हैं और आलम है कि “जब भी जी चाहे नए चेहरे लगा लेतें हैं लोग, एक चेहरे पर कई चेहरे लगा लेतें है लोग”. बैठक से नीरज मुझे अपनी गाड़ी में बिठा कर बाहर लाया, आजकल मै “बे-कार” जो हूँ.
राजनीति में व्यक्तिगत हमले का बुरा हश्र होता है. जिसे हम आज गाली देते हैं कल उसकी जरूरत पड़ती है. देखिये कल तक एक दूसरे की लानत मलामत करने वाले मेरे पुराने दल के नेता बेकरार दिल लेकर किसी रूठे को वापस लाने “लखनऊ टू रामपुर” की एतिहासिक यात्रा कर रहे हैं. कभी नरेन्द्र मोदी जी जो एन.डी.ए. के भाजपा के शीर्ष नेता है तो कभी राहुल गांधी जी, बिहार में व्यक्तिगत हमलों का दौर जारी है.
घबराईये मत, राहुल जी आपको गंगा में भसांग की बात कही गई है. गंगा में भसांग तो माँ दुर्गा का होता है. कुछ सियासत के बुद्धिमानों ने आपकी अनावश्यक इतनी चर्चा से आपको राजनीति के महादेव का दर्जा दे डाला है. मैं आजकल चुप रहने की कोशिश करता हूँ पर जब इस तरह का शालीन सियासी आचरण हो तो कैसे चुप रहूँ? अपने पुराने साथियों को इतना ही-
“तिजारत अपना पेशा था मगर अब इसको क्या कहिए,अँधेरे को उठा लाए, उजाला छोड़ आए है”
अमर सिंह के ब्लाग से साभार

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