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Nandita Mahtani hosts a birthday party for Tusshar Kapoor

http://www.sakshatkar.com/2017/11/nandita-mahtani-hosts-birthday-party.html

भड़ास ४ मीडिया.कॉम के एडिटर महोदय खबर एडिट करना भूल गए

वाह यशवंत जी,  आपकी पत्रकरिता तो महान है , पत्रकरिता के सारे मापदंडो को ताक पर रखकर  भड़ास ४ मीडिया खुले आम सब कुछ छाप देते  हो  . हम तो आपके कायल हो गए है . आखिर सस्ती लोकप्रियता बटोरने में लगे हो . लगे रहो मुन्ना भाई .........? अब आप भड़ास ४ मीडिया.कॉम पर छपी खबर पर नजर डाले  . जहा  खबर की शुरुआत गाली से  की जाती है . एडिटर महोदय खबर एडिट करना भूल गए . 

चूतड़ पर चार लात मार नौकरी से निकाल दूंगा- छुट्टी मांगने पर संपादक ने दी सरेआम धमकी

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हिन्‍दुस्‍तान अखबार के वाराणसी दफ्तर में हुआ हादसा : कर्मचारियों में दहशत, बिगड़ रहा कामकाज का माहौल : बनारस : कर्मचारी का कुसूर सिर्फ इतना भर था कि उसने पहले से ही मंजूर हो चुकी छुट्टी के दिन दफ्तर आ पाने की मजबूरी बतायी। बस फिर क्‍या था, सम्‍पादक महोदय अपना आपा खो बैठे और गालियां देते हुए भड़क कर बोले:-
''साले, अभी तुम्‍हारी चूतड़ पर चार लात मारूंगा और नौकरी से खड़े-खड़े निकाल बाहर कर दूंगा। सारी अक्‍ल ठिकाने आ जाएगी।'' यह हादसा हुआ पढ़े-लिखों का अखबार बनने का अग्रणी दावा करने वाले उस अखबार के दफ्तर में जो नये जमाने के साथ – हिन्‍दुस्‍तान की बारी है,  क्‍या पूरी तैयारी है – के जुमले के साथ खूब दावा ठोंकता है। जी हां, ठीक पहचाना आपने। हिन्‍दुस्‍तान के वाराणसी दफ्तर में हुए इस हादसे ने सम्‍पादकीय ही नहीं, पूरे दफ्तर को ही दहला कर रख दिया है। चूंकि दो-तीन कर्मचारियों के अलावा पूरा अखबार संविदा पर रखे गये कर्मचारियों के बल पर चल रहा है, इसलिए कोई भी अपना मुंह खोलने का तैयार ही नहीं है।
मामला कुछ यूं हुआ। यहां पेजीनेटर के तौर पर कार्यरत हैं सुनील श्रीवास्‍तव। यह मूलत: लखनऊ के रहने वाले हैं और हिन्‍दुस्‍तान में लखनऊ कार्यालय से ही वाराणसी भेजे गये हैं। पूरा परिवार लखनऊ में ही रहता है। सुनील के बेटे की वर्षगांठ शुक्रवार 12 अगस्‍त को थी। सालगिरह के अलावा घर के भी कुछ काम थे और 13 अगस्‍त को उनका वीकली ऑफ भी था। सो, उन्‍होंने कुछ दिन पहले ही 12 और 14 अगस्‍त को अवकाश के लिए आवेदन किया, जो उसी दिन मंजूर भी हो गया। सोचा था कि इसी बहाने परिवार के साथ रह कर दूसरी जिम्‍मेदारियां भी पूरी कर लेंगे।
लेकिन 11 तारीख की शाम को उन्‍हें स्‍थानीय सम्‍पादक अनिल भास्‍कर ने अपने केबिन में तलब किया और हुक्‍म दिया कि उन्‍हें 14 अगस्‍त को कार्यालय आना है। उस समय उनके केबिन में अनिल मिश्र और संदीप त्रिपाठी भी मौजूद थे। केबिन का दरवाजा खुला हुआ था। इस घटना के चश्‍मदीद लोगों का कहना है कि इस पर जब अनिल ने अपना अवकाश स्‍वीकृत हो जाने की सूचना देते हुए उस दिन काम पर न आ पाने की बात कही, तो सम्‍पादक जी हत्‍थे से उखड़ गये। भड़क गये। बोले:- साले--- अभी तुम्‍हारे चूतड़ पर चार लात मारूंगा और खड़े-खड़े नौकरी से निकाल दूंगा।
सम्‍पादक की इस दहाड़ ने केबिन के सामने बैठे और गुजरते कर्मचारियों को ठिठका दिया। कुछ लोगों को केबिन के सामने खड़े होकर माजरा जानने की कोशिश करते हुए सम्‍पादक ने देखा तो फौरन केबिन का दरवाजा बंद करा दिया। और फिर सुनील को समझाने की कोशिश की। इस अखबार के दफ्तर में हुई इस पहली हौलनाक वारदात से पूरे दफ्तर में दहशत का माहौल बन गया है। हालांकि यह अखबार इसके पहले भी कर्मचारी उत्‍पीड़न समेत कई गंभीर आरोपों से जूझता रहा है।
एक पत्रकार द्वारा भेजे गए पत्र पर आधारित. अगर उल्लखित तथ्यों-सूचनाओं में कोई कमी बेसी नजर आए तो अपनी बात नीचे दिए गए कमेंट बाक्स के जरिए कह सकते हैं या फिर bhadas4media@gmail.com का सहारा ले सकते हैं.

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Comments (2)Add Comment
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written by vinod , August 16, 2011
hame nahi lagata ki ko sampadak aisa kah sakta hai wo bhi bhaskar ji
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written by Dr. Vishnu Rajgadia, August 15, 2011
They shall read the working journalists एक्ट


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