Feature

Nandita Mahtani hosts a birthday party for Tusshar Kapoor

http://www.sakshatkar.com/2017/11/nandita-mahtani-hosts-birthday-party.html

भंवरी के भंवर में फंसे गहलोत ने की 5 मंत्रियों की छुट्टी, आज शपथ लेगी नई कैबिनेट



जयपुर.मंगलवार को राज्य में सियासी समीकरण तेजी से बदले। दोपहर 2 बजे मंत्रिपरिषद के सभी मंत्रियों ने इस्तीफा देकर मुख्यमंत्री गहलोत के नेतृत्व आस्था जताकर नई टीम बनाने के लिए अधिकृत किया।
रात 12 बजे गहलोत ने अपनी नई टीम की घोषणा कर दी। इस टीम में 1 कैबिनेट मंत्री मास्टर भंवरलाल सहित 4 राज्यमंत्रियों को बाहर का रास्ता दिखाया, जबकि 6 नए चेहरों को मौका देकर अपनी सरकार का चाल, चरित्र और चेहरा बदलने का प्रयास किया।
भले ही 10 घंटे में नया मंत्रिमंडल ने शक्ल ले ली मगर सूत्र बताते हैं कि सबकुछ पहले ही तय हो चुका था। 10 जनपथ गहलोत की नई टीम पर मुहर लगा चुका था। हालांकि इस्तीफे का ड्रामा ये दिखाने के लिए था कि ताकि सबकुछ लोकतांत्रिक तरीके से होता हुआ दिखे।
नाटकीय ढंग से इस्तीफे
राज्य मंत्रिपरिषद की बैठक सुबह 11 बजे मुख्य सभागार में शुरू हो गई थी। करीब 2 घंटे तक तो लोक सेवा की गारंटी कानून, जननी सुरक्षा योजना, मुख्यमंत्री नि:शुल्क दवा योजना, मुख्यमंत्री ग्रामीण बीपीएल आवास योजना, बिजली संकट आदि बिंदुओं पर चर्चा होती रही।
इसके बाद मुख्यमंत्री ने करीब 10 मिनट का टी-ब्रेक लिया। इस दौरान संसदीय सचिवों नानालाल निनामा, ब्रह्मदेव कुमावत और रमेश मीणा बाहर आ गए।
बाद में मुख्यमंत्री कक्ष के पास वाले छोटे सभागार में मंत्रि परिषद की बैठक शुरू हुई तो गृह मंत्री शांति धारीवाल ने गोपालगढ़ में सांप्रदायिक हिंसा और जोधपुर में एएनएम भंवरी की सीडी प्रकरण की चर्चा करते हुए अपने इस्तीफे की पहल की।
इसके बाद सभी मंत्रियों ने गहलोत के नेतृत्व में आस्था व्यक्त करते हुए इस्तीफे देने की बात कही।
इससे पहले गृहमंत्री शांति धारीवाल को मुख्यमंत्री निवास पर सुबह 10 बजे बुलाया गया। मुख्यमंत्री ने उनसे 45 मिनट चर्चा करने के बाद उद्योग मंत्री राजेंद्र पारीक को भी बुलाया और उनसे भी चर्चा की। माना जा रहा है कि इसी दौरान अन्य मंत्रियों से इस्तीफे लिए जाने की रणनीति बनाई गई।
मीडिया के सवालों पर चुप्पी

मंत्रियों के सामूहिक इस्तीफे के बाद मुख्यमंत्री गहलोत सीएमओ से बाहर निकले तो मीडियाकर्मियों ने उनसे बात करनी चाही, वे रुके भी लेकिन इसी बीच कुछ कार्यकर्ता आ गए और अशोक गहलोत जिंदाबाद.. के नारे लगाने लगे। इस शोरशराबे से नाराज गहलोत अपनी कार में बैठ गए। पत्रकार अपने सवालों के साथ उनकी कार तक भी गए लेकिन बिना कोई जवाब दिए वे सचिवालय से बाहर चले गए।
प्रदेश में जो चल रहा है वह दुर्भाग्यपूर्ण 
मंत्रिपरिषद की बैठक में इस्तीफे की पहल करते हुए धारीवाल ने कहा कि प्रदेश में गोपालगढ़ और एएनएम भंवरी प्रकरण को लेकर पिछले दिनों जो हुआ, वह दुर्भाग्यपूर्ण है। प्रदेश में इस समय जैसा माहौल चल रहा है, जिस तरह के सवाल उठ रहे हैं, उसमें हम मंत्रि परिषद के सदस्य मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के नेतृत्व में पूरी आस्था व्यक्त करते हैं।
मुख्यमंत्री जी आप अपनी पसंद की टीम नए सिरे से तैयार करें, मंत्रिमंडल का पुनर्गठन करें। मैं इसकी पहल करते हुए अपना इस्तीफा आपको सौंपता हूं।
शपथ आज दोपहर बाद

 
मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने मंगलवार दोपहर मंत्रियों से सामूहिक इस्तीफे लेने के बाद रात 12 बजे बाद पांच मंत्रियों की छुट्टी कर दी। राज्य मंत्री अशोक बैरवा को कैबिनेट का दर्जा दे दिया। इसके अलावा छह नए राज्य मंत्री और सात संसदीय सचिव बनाए गए हैं। अब 13 संसदीय सचिव होंगे। 

 
छह नए राज्य मंत्रियों में से तीन को स्वतंत्र प्रभार दिया है। रघु शर्मा को कैबिनेट मंत्री का दर्जा देते हुए सरकारी मुख्य सचेतक और युवा विधायक रतन देवासी को उप मुख्य सचेतक का पद दिया गया है। अभद्र बयान देने और कामकाज से विवादों मंे आए शिक्षा मंत्री मास्टर भंवरलाल को कैबिनेट से बाहर का रास्ता दिखा दिया गया है। 

 
मदेरणा के बाद एक और जाट नेता रामलाल जाट भी हटा दिए गए। हटाए जाने वाले पांचों मंत्रियों के इस्तीफे राज्यपाल के पास मंजूरी के लिए भेज दिए गए हैं। बैरवा को कैबिनेट मंत्री का दर्जा देने के साथ ही कैबिनेट मंत्रियों की संख्या 13 हो गई है। 

 
राष्ट्रपति पर टिप्पणी करने के बाद हटाए गए अमीन खां की वापसी राज्यमंत्री स्वतंत्र प्रभार के रूप में हुई है। शपथ ग्रहण समारोह बुधवार दोपहर बाद होगा।

 
अब मुख्यमंत्री सहित 27 मंत्री

 
नए मंत्रिमंडल में मुख्यमंत्री सहित 27 मंत्री होंगे। तीन की और गुंजाइश है। पहले भी यह संख्या 27 ही थी, लेकिन मदेरणा और अमीन खां के हटने के बाद मुख्यमंत्री सहित 26 मंत्री रह गए थे।

 
7 नए संसदीय सचिव, कुल 13

 

 
गजेंद्र सिंह शक्तावत, जयदीप डूडी, कन्हैयालाल झंवर, राजेंद्र सिंह बिधूड़ी, रामस्वरूप कसाना, ममता भूपेश और जाहिदा नए संसदीय सचिव होंगे। छह संसदीय सचिव पहले से हैं।

 
अंधों का हाथी! सूंड को पूंछ समझो या पूंछ को पांव..

 
सामूहिक इस्तीफे क्यों लिए?

 
सब राजनीति है। पूरी सरकार ही बदल जाने की चर्चा कई दिनों से चल रही थी। भंवरी, पारस और गोपालगढ़ विवाद के चरम पर होने के बावजूद खुद को ताकतवर बताने के लिए मुख्यमंत्री ने ऐसा किया है।

 
तो क्या होना- जाना कुछ नहीं है?

 
जी। विवाद में कई मंत्री थे, लेकिन बदले गए सिर्फ पांच। किसी का विभाग बदलकर कमजोर दिखा दिया जाएगा। छह नए लोग आ गए। बस, सरकार ऐसे ही चलती रहेगी।

 
तो फिर इतनी मशक्कत क्यों?

 
लोगों को दिखाने के लिए। मुंह बंद करने के लिए। कि देखिए अभी नए मंत्री हैं। नया विभाग है। धीरे से सब कुछ ठीक हो जाएगा। ऐसा करते छह-आठ महीने बीत जाएंगे। फिर अगले चुनाव की तैयारी में लग जाएंगे। हो जाएगा कार्यकाल पूरा। 

 
फिर भंवरी मामले का क्या होगा?

 
वो तो सीबीआई जाने।

 
तो सरकार कुछ नहीं करेगी?

 

 
सरकारें भी कुछ करती हैं भला? मंत्री को बर्खास्त कर तो दिया।

 
न्याय कैसे मिलेगा? और कौन मंत्री इन्वाल्व है,कैसे पता चलेगा?

 
सबसे इस्तीफे ले तो लिए। .. नया मंत्रिमंडल भी बना दिया। .. और क्या चाहिए। चुनाव दो साल बाद हैं। एक भंवरी को भूलने के लिए दो साल कम थोड़े ही हैं।

 
फिर राजनीति को शुद्ध कौन करेगा?

 
ओ हो..। ये तो अंधों का हाथी है। सूंड को पूंछ कह दो या पूंछ को पांव समझ लो। क्या फर्क पड़ता है? राजनीति भी ऐसी ही होती है। मानो तो शुद्ध, न मानो तो और भी शुद्ध।

 राजस्थान कैबिनेट के अंदर की बात, सब कुछ जो आप जानना चाहेंगे 
Sabhar:- Bhaskar.com

No comments:

Post a Comment

Famous Post