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Nandita Mahtani hosts a birthday party for Tusshar Kapoor

http://www.sakshatkar.com/2017/11/nandita-mahtani-hosts-birthday-party.html

'विज्ञापन के लिए भड़ास की ब्लैकमेलिंग मैं बर्दाश्त नहीं करूंगा'




जनता टीवी के मालिक गुरबिंदर सिंह, जो खुद को जनता टीवी का वाइस प्रेसीडेंट बताते-लिखते हैं, ने एक पत्र लखनऊ के वरिष्ठ पत्रकार कुमार सौवीर को लिखा. इसलिए लिखा क्योंकि कुमार सौवीर ने गुरबिंदर सिंह से अपनी पहली और आखिरी मुलाकात के दास्तान को विस्तार से लिखकर भड़ास को भेजा था जिसे प्रकाशित भी कराया गया. गुरबिंदर ने कुमार सौवीर को लिखे अपने पत्र में कहा है कि भड़ास4मीडिया उनके संस्थान के खिलाफ इसलिए खबर छाप रहा है क्योंकि उसे विज्ञापन चाहिए. कई और बातें भी उन्होंने लिखी. कुमार सौवीर ने गुरबिंदर को लंबा-चौड़ा जवाब भेजा है. दोनों पत्रों को यहां प्रकाशित किया जा रहा है.
From: Janta TV gsingh@jantatv.com
To: kumar sauvir kumarsauvir@yahoo.com
Dear Sauvir ji,

You should not lie on Bhadas, you have good relations with Yashwant, i can understand but you are an ethical person. I shared a very humble discussion with you and never would dis regard you in future as well, but this step is depressing from a nice and helpfull like you. I am new to media business, but i cannot accept the blackmail of Bhadas for advertisements. And here, you are supporting his vicious cause.

Thanks & Regards,

Gurbinder Singh
Vice President
JANTA TV

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From: kumar sauvir kumarsauvir@yahoo.com
TO: Janta TV gsingh@jantatv.com

गुरबिंदर भाई,
नमस्‍कार।
आपका पत्र मिला और आपने सलाह दी, शुक्रिया। लेकिन मैंने झूठ क्‍या लिखा, इस बारे में आपने अपने पत्र में तनिक भी संकेत तक नहीं किया है।
हां, मैं मानता हूं और मुझे इस पर गर्व भी है कि यशवंत के साथ मेरे अच्‍छे सम्‍बन्‍ध हैं। अच्‍छे क्‍या, मेरे सर्वश्रेष्‍ठ सम्‍बन्‍धों में से एक नाम है यशवंत।
और हां, आपने मुझे एक एथिकल इंसान के तौर पर मान्‍यता दी, मैं आपका तहेदिल से शुक्रिया भी अदा करना चाहता हूं।
आपने लिखा है कि यशवंत एक ब्‍लैकमेलर हैं और केवल विज्ञापन के लिए आपको ब्‍लैकमेल करना चाहते हैं। यह बात गले से नीचे उतर नहीं रही है। वजह यह कि अभी कुछ दिन पहले तक ही आपके संस्‍थान का विज्ञापन भड़ास4मीडिया पर छपता रहा है। मुझसे हुई आपकी मुलाकात के दौरान आपने भी गर्व के साथ यह कुबूल किया था कि यशवंत एक तेज-तर्रार शख्‍स है और आप उसका सम्‍मान करते हैं। उस समय भी आपका विज्ञापन भड़ास4मीडिया पर प्रकाशित हो रहा था। और आज आप उसी इंसान को विज्ञापन के लिए ब्‍लैकमेलर करार दे रहे हैं, जिसका दिल से सम्‍मान करने का दावा आपने मेरे सामने किया था।
अगर उस दौर में भी यशवंत आपको ब्‍लैकमेल करके आपका विज्ञापन ले रहे थे, तो आपने उसकी प्रशंसा के बजाय निंदा क्‍यों नहीं की। यशवंत जैसे ब्‍लैकमेलर के प्रति मेरा नजरिया उसी समय बदलने की शुरूआत क्‍यों नहीं की। कम से कम मैं सतर्क तो हो ही जाता। कलेजे में फांस-कील तो पड़ ही जाती। लेकिन आपने ऐसा नहीं किया। आपका तो यह दायित्‍व था कि आप जिसे ब्‍लैकमेलर के तौर पर पहचान चुके हैं, उसका खुलासा सार्वजनिक तौर पर करते। फिर ऐसा किया क्‍यों नहीं आपने। है कोई जवाब आपके पास।
आपने कहा है कि मीडिया जगत में आप नये हैं, इसलिए आपके सामने कुछ तथ्‍य रखना चाहता हूं। आपने खुद ही कहा था कि उस विज्ञापन के लिए आप भड़ास4मीडिया को पांच हजार रूपयों का भुगतान करते हैं। तो आपको बता दूं कि आज भी ऐसे लोगों की तादात बेहिसाब है जो दलाली की पत्रकारिता में यकीन नहीं रखते हैं। चाहे वह दिल्‍ली के पत्रकार हों, या राजधानी लखनऊ के, अथवा बलिया-बदायूं-श्रावस्‍ती, बांदा के जिला या तहसील स्‍तर के। वे अपनी ईमानदारी पर गर्व करते हैं और बाकायदा सम्‍मान पाते हैं। लेकिन जो दलाली करने पर यकीन रखने हैं, उनमें तहसील स्‍तर के पत्रकार सरकारी गल्‍ले की दूकान से नियमित तौर पर हजार-पांच सौ रूपये पाते हैं। दारोगा से दारू-मुर्गा, लेखपाल-नायब तहसीलदार से काम कराने के लिए भी दो-चार हजार घसीट ही लेते हैं। धौंसपट्टी अलग से। जिला स्‍तर पर भी ऐसे कुछ पत्रकार मिल जाएंगे जो असलहे का लाइसेंस बनवाने के लिए बीस-पचीस हजार तक एक झटके में खींचते हैं। यहां पैसा बनाने के दर्जनों तरीके होते हैं। राजधानी लखनऊ में कई पत्रकार तो ऐसे हैं जो दशकों से कहीं काम-धाम ही नहीं करते। वेतन तो दूर की बात, लेकिन उनका खर्च हर महीने लाख रूपयों से भी ज्‍यादा होता है। और आमदनी तो बेहिसाब। आप अंदाजा तक नहीं लगा सकते। एक तबादले पर दस-पांच लाख का वारा-न्‍यारा हो जाता है यहां। और तो और, ईमानदार कहे जाने वाले कुछ पत्रकारों पर तो लखनऊ का दिल माने जाने वाले हजरतगंज के सौंदर्यीकरण के नाम पर सौ करोड़ तक उदरस्‍थ करने के आरोप लगे हैं। दिल्‍ली के पत्रकारों के बारे में आप पता कर लीजिए, नीरा राडिया के साथ अपने सम्‍बन्‍धों के चलते खासे बदनाम हो चुके कुछ पत्रकार तो अरबों-खरबों में खेल रहे हैं।
और आप कहते हैं कि महज पांच हजार के विज्ञापन के लिए आपको यशवंत ने ब्‍लैकमेल किया।
गुरूबिंदर भाई, ऐसा अनर्थ मत कीजिए। मेरा लिखा आपको नश्‍तर की तरह चुभ गया, तो जरा सोचिये कि ब्‍लैकमेलिंग का आरोप सुनने पर यशवंत के दिल-दिमाग पर क्‍या बीती होगी।
ब्‍लैकमेलिंग, और वह भी पांच हजार रूपल्‍ली के लिए। दो बार तो यशवंत ने मेरे एकाउंट मे कई बार इससे कहीं ज्‍यादा की रकम डलवायी थी, जब मैं महुआ न्‍यूज के पतनशील माहौल वाली व्‍यवस्‍था से बाहर निकल कर बेरोजगारी के रास्‍ते पर आया था। वह मदद न मिलती तो, किसी के सामने हाथ न फैलाने की अपनी घमंडी आदत के चलते मेरे घर रोटियां न पकतीं और बच्‍चों का तो नाम ही न जाने कब का कट चुका होता।
गु‍रूबिंदर भाई। इतना ही नहीं। मैंने तो पांच लाख रूपयों का एक आफर तक ठुकराते हुए देखा है यशवंत को। उस आफर में कोई शर्त नहीं थी, बस इतनी सी मांग थी कि भड़़ास पर पोर्टल सहयोगी के तौर पर एक नाम जाएगा। यशवंत का तर्क था कि यह नहीं हो सकता। भड़ास4मीडिया के नाम पर किसी को अघोषित धंधा करने की इजाजत नहीं दी जा सकती है।
दिल पर हाथ रख कर सोचिये कि यशवंत से आपकी दुश्‍मनी क्‍या है। आप यशवंत की जगह होते तो क्‍या करते। क्‍या उत्‍तराखंड या हरियाणा से आयी किसी शिकायत को कूड़ेदान में डाल देते। या फिर वही करते जो यशवंत ने किया। उस समाचार पर आपकी भी राय ली और दोनों को एकसाथ प्रकाशित कर दिया। यही तो तरीका है। हां, कोई और तरीका आप तजबीज कर दें तो उस पर सोचा जा सकता है। आपको तो प्रशंसा करनी चाहिए कि उसने आपकी नोटिस को भी पूरी प्रमुखता से अपने पोर्टल पर छापा। पूरी ईमानदारी के साथ।
हां, मैं यशवंत का समर्थन करता हूं। आप भले ही उसे घिनौना करार देते रहें। यह तो अपना-अपना नजरिया है। यशवंत को आपने जैसा देखा, वैसी राय बनायी। और जैसा मैंने देखा, मैंने राय बनायी। लेकिन बस हाथ जोड़कर आपसे एक अनुरोध तो कर ही सकता हूं। वह इसलिए भी कि आप जिज्ञासु हैं, युवा हैं और इस क्षेत्र में नये हैं। झगड़े-झंझट से क्‍या होगा आखिर, केवल ब्‍लड-प्रेशर में इजाफा ही तो। और आप अच्‍छी तरह जानते हैं कि विकास के रास्‍ते पर चलने वालों के लिए इस तरह की बीमारियां अवरोध ही खड़ा करती हैं। तो, मेरी आपसे गुजारिश है कि अगर कोई कड़वाहट आपके दिल में हो, उसे निकाल फेंकिये। कड़वाहट को मिटा कर बने सम्‍बन्‍ध तो और भी मीठे और दीर्घकालिक होते हैं। बस दिल को साफ कर लिया जाए। आप चाहें तो मैं आपकी तरफ से यशवंत से बात कर सकता हूं। बस मैं अनावश्‍यक झगड़ा नहीं चाहता। दोस्‍ती जब कोर्ट-कचेहरी की ओर मुड़ने लगे तो मेरा दिल कचोटता है। हां, अगर आप पूरी निष्‍ठा के साथ दुश्‍मनी करने पर उतर आयेंगे, तब भी मैं आपका सम्‍मान करूंगा और खुल कर कहूंगा भी कि एक शख्‍स है जो अपना सबकुछ लुटाकर भी अपनी बात पर कायम रहता है। लेकिन दिल से मैं आपको ऐसा करने की इजाजत नहीं दे सकता। वजह, इस लड़ाई में चोट दोनों को लगेगी और खूब लगेगी। और आप दोनों को चोट लगे, यह मुझे बहुत बुरा लगेगा। शायद तब इसके लिए मैं खुद को भी दोषी मानने लगूंगा।
गुरूबिंदर भाई। प्‍लीज मत कीजिए ऐसा, आपको वाहेगुरू का वास्‍ता।

कुमार सौवीर
स्‍वतंत्र पत्रकार
लखनऊ
Bhdas4media.com

1 comment:

  1. भाई यह पुरा मामला क्या है कि इतनी हाय तौबा मची है ।

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