चंडीगढ़ की सेन्ट्रल फोरेन्सिक लेबोरेटरी की रिपोर्ट में प्रशांत भूषण की आवाज के छेड़छाड़ का सबूत क्या मिला प्रशांत भूषण की पौ बारह हो गई. छूटते ही प्रशांत भूषण ने प्रधानमंत्री कार्यालय पर हमला बोलते हुए आरोप लगाया है कि एक सूचना अधिकार कार्यकर्ता सुभाष अग्रवाल द्वारा आरटीआई द्वारा पीएमओ से जो जानकारी मांगी थी, पीएमओ ने उन्हें पूरी जानकारी न देकर गुमराह किया था.
पीएमओ से सुभाष अग्रवाल ने आरटीआई के जरिए यह जवाब मांगा था कि शांति भूषण के टेप के जो अलग अलग फोरेन्सिक टेस्ट कराए गये हैं उसकी जानकारी सरकार दे लेकिन पीएमओ ने केवल दिल्ली की फोरेन्सिक लेबोरेटरी की रिपोर्ट ही सुभाष अग्रवाल को दी थी जिसमें माना गया था कि टेप से कोई छेड़छाड़ नहीं हुई है. सुभाष अग्रवाल से चंडीगढ़ लैबोरेटरी की रिपोर्ट छिपा ली गई थी जिसमें छेड़छाड़ की बात मानी गई थी. अब उसी चंडीगढ़ फोरेन्सिक लैब की रिपोर्ट ने माना है कि शांति भूषण और अमर सिंह के बीच हुई बातचीत में आवाज और बातचीत को मिक्स किया गया है.
यह रिपोर्ट भी सामने न आती अगर सुभाष अग्रवाल न होते. जब पीएमओ ने जानकारी मांगने के बावजूद नहीं दी तो सुभाष अग्रवाल ने सीधे सेन्ट्रल फोरेन्सिक लैब चंडीगढ़ से ही आरटीआई के जरिए जानकारी मांग ली और लैब को आठ महीने बाद ही सही लेकिन जानकारी देनी पड़ी.
जाहिर है इस रिपोर्ट के बाद प्रशांत भूषण को भरपूर मौका मिल गया है कि वे सरकार को कटघरे में खड़ा करें. ऐसा करके वे कुछ गलत भी नहीं करेंगे. दिल्ली की लैबोरेटरी गृहमंत्रालय के अधीन है जिसके मंत्री पी चिदम्बरम हैं. चिदम्बरम की चिंता करते हुए फोरेन्सिक लैब रिपोर्ट से छेड़छाड़ कर भी दे तो कोई आश्चर्य नहीं लेकिन कम से कम पीएमओ को यह बात नहीं छुपानी चाहिए थी. इस प्रकरण से एक बात तो साफ हो जाती है कि प्रशांत भूषण और टीम अन्ना के इन आरोपों में दम नजर आने लगा है कि सरकार जानबूझकर उन लोगों को फंसाने की कोशिश कर रही है.
अब प्रशांत भूषण कहते हैं पीएमओ ने ऐसा चिदम्बर को बचाने के लिए किया. साफ है सरकार की अन्ना उखाड़ो मुहिम में मनमोहन सिंह भी बराबर के भागीदार रहे हैं भले ही वे बोलते कुछ न हो
Sabhar:= Visfot.com
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