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Nandita Mahtani hosts a birthday party for Tusshar Kapoor

http://www.sakshatkar.com/2017/11/nandita-mahtani-hosts-birthday-party.html

संसद पेड न्यूज करने वाले अखबार मालिकों को डांटे : प्रमोद


रामेश्वरम् हिन्दी पत्रकारिता पुरस्कार डा. योगेश मिश्रा को, वरिष्ठ पत्रकार मोहन नेपाली भी सम्मानित : झांसी। राजकीय संग्रहालय में स्व. पं. रामेश्वरम् दयाल त्रिपाठी को पुण्य स्मृति में स्थापित रामेश्वरम् हिन्दी पत्रकारिता पुरस्कार का अष्टम सम्मान समारोह प्रतिष्ठित पत्रकार प्रमोद जोशी के मुख्य आतिथ्य एवं वरिष्ठ पत्रकार कैलाश चन्द्र जैन की अध्यक्षता में सम्पन्न हुआ। कार्यक्रम का शुभारम्भ मुख्य अतिथि प्रमोद जोशी ने स्व. पं. रामेश्वर दयाल त्रिपाठी के चित्र पर माल्यार्पण कर एवं दीप प्रज्जवलित करके किया।
समारोह के विशिष्ट अतिथि पूर्ण राज्यमंत्री हरगोविंद कुशवाहा, डीएलए के संपादक वंशीधर मिश्र, गांधीवादी विचारक नरोत्तम स्वामी रहे। संस्थान की ओर से मुख्य अतिथि प्रमोद जोशी को पुष्प गुच्छ भेंटकर सुधांशु त्रिपाठी ने स्वागत किया। मंचस्थ विशिष्ट अतिथियों का स्वागत डा. विजय भारद्वाज, डा. पंकज राणा, इकबाल खान, डा. सुधीर त्रिपाठी, राजेश राय, आरपी मिश्रा, शैलेन्द्र सिंह, जैनुल, बलवान सिंह यादव आदि ने किया। संस्थान के अध्यक्ष सुधांशु त्रिपाठी ने संस्था की प्रगति आख्या प्रस्तुत की। उन्होंने बताया कि वर्ष 2004 से शुरू हुआ इस पुरस्कार से पहली बार इस वर्ष से बुन्देलखण्ड के पत्रकार को भी सम्मानित करने का निर्णय लिया गया है।
निर्णायक मण्डल के अध्यक्ष प्रो. क्रांतिचन्द्र सक्सेना ने वर्ष 2011 के राष्ट्रीय स्तर पर रामेश्वरम् हिंदी पत्रकारिता पुरस्कार नई दुनिया, लखनऊ के ब्यूरो प्रमुख डा. योगेश मिश्रा को देने की घोषणा की। मुख्य अतिथि जोशी ने ग्यारह हजार रुपए का नगद पुरस्कार एवं स्मृति चिन्ह भेंट किया। जबकि बुन्देलखण्ड के वरिष्ठ पत्रकार मोहन नेपाली को शॉल, श्रीफल एवं प्रशस्ति देकर सम्मानित किया गया।

इस मौके पर मुख्य अतिथि प्रमोद जोशी ने कहा कि लोकतंत्र को और मजबूत तथा प्रभावी बनाने के लिए जन विमर्श का सिलसिला बढ़ाया जाना चाहिए। कोशिश यही होनी चाहिए कि जन-जन में संवाद का सिलसिला लगातार बढ़े। सूचना जनता की सम्पžत्ति है, इसे किसी भी कीमत पर बेचा नहीं जाना चाहिए। पेड न्यूज की विद्रपताओं का विस्तार से उल्लेख करते हुए उन्होंने इस बात पर चिंता जताई कि भारत में इस दिशा में संसद ने कोई हस्तक्षेप नहीं किया। न तो किसी अखबार के मालिक को डांट लगाई न ही समूह के संपादक को।
यूरोप की ऐसी ही घटनाओं का उल्लेख करते हुए उन्होंने बताया कि रुपर्ट मर्डोक का क्या हश्र हुआ यह सब के सामने आ गया। उन्होंने पत्रकारों की कमजोर आर्थिक स्थितियों के कारणों को भी स्पष्ट किया। पत्रकार योगेश मिश्र ने लोगों का आह्वान किया कि वे अपनी प्रतिक्रियाओं से सम्पादकों को समय-समय पर अवगत कराते रहें। ऐसा करके ही पत्रकारिता में बातों को और असरकारी बनाया जा सकता है।
वरिष्ठ पत्रकार बंशीधर मिश्र ने सत्ता की निरंकुश प्रवृत्ति का उल्लेख करते हुए कहा कि आज की अफसरशाही का जनसमस्याओं को संज्ञान में न लेना चिंता का विषय है। वरिष्ठ पत्रकार मोहन नेपाली ने सम्मान प्राप्त करने पर रामेश्वरम् संस्थान के प्रति धन्यवाद ज्ञापित किया। अध्यक्षीय उद्बोधन में कैलाश चन्द्र जैन ने प्रिंट मीडिया पर पड़ रहे विभिन्न दबावों का उल्लेख किया। इस अवसर पर पं. रामनारायण शर्मा, राधारमण् शांडिल्य, दिनेश भार्गव, हमीदा अंजुय, रामप्रकाश अग्रवाल, श्रीराम बिलगइया ने भी विचार व्यक्त किए। इस अवसर पर चंद्रशेखर तिवारी, वीरेन्द्र शर्मा, अनिल झा, डा. वीलन, राजीव जैन, जमुना झा, हबीर्बुरहमान आदि उपस्थित रहे। संचालन बखूबी प्रवीण जैन एवं आभार प्रदर्शन प्रतीक चौरसिया ने किया।
प्रेस विज्ञप्ति

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