धनबाद पुलिस, पत्रकार और शराब की दोस्ती बहुत पुरानी है, परंतु धनबाद के कुछ पत्रकारों ने कभी सोचा भी नहीं होगा कि एक शाम अचानक पुलिस उनपर तब हाथ डालेगी जब उनके हाथों में जाम होगा. मामला धनबाद का है, जहां सोमवार की शाम कुछ पत्रकार एक होटल में बैठकर शराब पी रहे थे, तभी किसी ने एसपी आरके धान को फोन कर इसकी सूचना दे दी।
फिर क्या था पत्रकार और पुलिस का रिश्ता सास-बहु के तरह तो होता ही है, लिहाजा एसपी के आदेश पर डीएसपी संजय रंजन ने होटल में दबिश देकर वहां शराब पी रहे लोकल चैनल के पांच पत्रकारों को रंगे हाथ धर दबोचा। पकड़े जाने के बाद नशे में धुत पत्रकार अपना रुतबा दिखाने से बाज नहीं आ रहे थे तो उन्हें कानून का सबक सिखाने के लिए पुलिस ने सरेआम सड़कों पर जुलूस निकाल कर उन शराबखोर पत्रकारों को जनता से रुबरु कराया। इज्जत का जनाजा उठने के बाद जब इन्हें गलती का एहसास हुआ तो लगे पुलिस के सामने हाथ जोड़कर गिड़गिड़ाने। आखिरकार तरस खाकर पुलिस ने चेतावनी देते हुए इन्हें रिहा तो किया परंतु अब ये इलाके में अपना चेहरा छिपाए फिर रहे हैं। पुलिस के गिरफ्त में आए लोकल चैनल के पत्रकारों में दिलीप कुमार, प्रकाश और राहुल हैं।
भड़ासी टिप्पणी : पुलिस की बेहूदगी का ये बड़ा नमूना है. बड़े-बड़े अपराधियों को सलाम ठोंकने वाली पुलिस अब ऐसे ही चिरकुट काम करती है. शराब पीना कहां का जुर्म है. अगर कोई शांति से होटल में बैठकर शराब पी रहा है तो यह कौन सा अपराध है. लगता है कि पुलिस ने पत्रकारों को बेइज्जत करने का मन बना लिया था और इसके लिए कोई भी छोटा मोटा बहाना तलाश रही थी. धनबाद पुलिस के इस कृत्य का पत्रकारों को विरोध करना चाहिए. आज ये पुलिस वाले शराब के नाम पर पांच पत्रकारों का जुलूस निकाल रहे हैं तो कल को किसी को प्रेस कार्ड न रखने पर फर्जी पत्रकार बताकर जुलूस निकाल देंगे. इन हरामखोर पुलिसवालों को उनकी औकात बताई जानी चाहिए. धनबाद के पत्रकारों में अगर थोड़ी भी हया बाकी है तो उन्हें दोषी अफसरों के खिलाफ कार्रवाई के लिए आंदोलन छेड़ देना चाहिए.
Sabhar- Bhadas4media.com
फिर क्या था पत्रकार और पुलिस का रिश्ता सास-बहु के तरह तो होता ही है, लिहाजा एसपी के आदेश पर डीएसपी संजय रंजन ने होटल में दबिश देकर वहां शराब पी रहे लोकल चैनल के पांच पत्रकारों को रंगे हाथ धर दबोचा। पकड़े जाने के बाद नशे में धुत पत्रकार अपना रुतबा दिखाने से बाज नहीं आ रहे थे तो उन्हें कानून का सबक सिखाने के लिए पुलिस ने सरेआम सड़कों पर जुलूस निकाल कर उन शराबखोर पत्रकारों को जनता से रुबरु कराया। इज्जत का जनाजा उठने के बाद जब इन्हें गलती का एहसास हुआ तो लगे पुलिस के सामने हाथ जोड़कर गिड़गिड़ाने। आखिरकार तरस खाकर पुलिस ने चेतावनी देते हुए इन्हें रिहा तो किया परंतु अब ये इलाके में अपना चेहरा छिपाए फिर रहे हैं। पुलिस के गिरफ्त में आए लोकल चैनल के पत्रकारों में दिलीप कुमार, प्रकाश और राहुल हैं।
भड़ासी टिप्पणी : पुलिस की बेहूदगी का ये बड़ा नमूना है. बड़े-बड़े अपराधियों को सलाम ठोंकने वाली पुलिस अब ऐसे ही चिरकुट काम करती है. शराब पीना कहां का जुर्म है. अगर कोई शांति से होटल में बैठकर शराब पी रहा है तो यह कौन सा अपराध है. लगता है कि पुलिस ने पत्रकारों को बेइज्जत करने का मन बना लिया था और इसके लिए कोई भी छोटा मोटा बहाना तलाश रही थी. धनबाद पुलिस के इस कृत्य का पत्रकारों को विरोध करना चाहिए. आज ये पुलिस वाले शराब के नाम पर पांच पत्रकारों का जुलूस निकाल रहे हैं तो कल को किसी को प्रेस कार्ड न रखने पर फर्जी पत्रकार बताकर जुलूस निकाल देंगे. इन हरामखोर पुलिसवालों को उनकी औकात बताई जानी चाहिए. धनबाद के पत्रकारों में अगर थोड़ी भी हया बाकी है तो उन्हें दोषी अफसरों के खिलाफ कार्रवाई के लिए आंदोलन छेड़ देना चाहिए.
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