सुशील गंगवार -----
शर्म हया को ताक पर रख कर फिल्म -टीवी आडिशन करने वाले लोग ५ मिनट में ही लड़की को नंगा कर लेते है इसकी शुरुआत बातो से होती है फिर रातो तक पहुच जाती है । फ़िल्मी दुनिया की चकाचौध और काम पाने की ललक अँधा बना देती है कुछ को काम मिल जाता है
कुछ और नहीं वर्ना वह कामवासना की दुकान बनके रह जाती है । हर रात किसी के साथ गुजारने पर मजबूर और फिल्म टीवी की दुनिया में झूठे काम दिलाने के वादे न घर के न घाट का छोड़ते है
वह घाट घाट का पानी पीने पर मजबूर हो जाते है । ऐसा लडकियों के साथ नहीं होता है बल्कि चिकने लड़के भी मनचले फिल्म वालो का शिकार बन जाते है ।
हवस के प्यासे लोगो की कमी नहीं है न ही अपना जिस्म बेचने वालो की है । जब मैंने एक लड़के से पूछा भाई तू ये अपनी जींस ढीली क्यों पहनता है जो बार बार पूरी दुकान दिखा रही है तो वह तपाक से बोला बॉस यह फैशन है कुछ दिखा के ही फ़िल्मी दुनिया में काम मिलता है । आखिर क्या कहा जा सकता है ।
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