मुंबई। मुंबई के पूर्व कांग्रेस अध्यक्ष कृपाशंकर सिंह पर कानूनी शिकंजा कसने लगा है। अवैध रूप से सम्पत्ति बनाने और लाखों करोड़ों रुपये की हेराफेरी के मामले में उनके व उनके कुनबे के खिलाफ मामला दर्ज किया है। हालांकि जब मुंबई पुलिस कृपाशंकर सिंह से पूछताछ करने उनके घर पहुंची तो वो गायब मिले। उनके घर के पीछे से धुआं जरूर निकलता नजर आया। आईबीएन7 ने जब पड़ताल की तो वहां कागजात जलते नजर आए। कई कागजात पर कृपाशंकर सिंह का नाम लिखा था।
मुंबई के निर्मल नगर थाने में कृपाशंकर सिंह समेत उनके परिवार के छह सदस्यों के खिलाफ एफआईआर दर्ज की गई है। इसमें कृपा की पत्नी मालती सिंह, बेटा नरेंद्र सिंह, बहू अंकिता, बेटी सुनीता और दामाद विजय शामिल हैं। इन पर धारा 120बी यानी साजिश रचने, धारा 13 यानी भ्रष्टाचार, धारा 420 यानी धोखाधड़ी समेत, फर्जीवाड़ा करने जैसे मामले भी दर्ज किए गए हैं। दरअसल बॉम्बे हाईकोर्ट ने कृपाशंकर सिंह की तकरीबन 300 करोड़ की संपत्ति जब्त कर दी है। साथ ही मुंबई पुलिस को एफआईआर दर्ज कर जांच रिपोर्ट देने को कहा है। इस आदेश के बाद कृपाशंकर सिंह से कांग्रेस के मुंबई अध्यक्ष का पद छीन लिया गया था। लेकिन एफआईआर के बाद अब उनपर मुसीबतों का नया पहाड़ टूट सकता है।
गौरतलब है कि एक सामान्य चपरासी से लेकर महाराष्ट्र कांग्रेस में दबदबा बनाने वाले कृपाशंकर सिंह का सफर किसी फिल्म सरीखा है। वो 1998 तक अपने परिवार में कमाने वाले एकलौते सदस्य थे। 1999 में विधायक बनने के बाद उनकी आय प्रति महीना 45,000 ही हुई लेकिन 1999 से लेकर 2009 तक उन्होंने एक दर्जन से भी ज्यादा जमीन, फ्लैट और अन्य अचल संपत्ति खरीदी। तकरीबन 320 करोड़ की ये जायदाद उनके और उनके रिश्तेदारों के नाम पर है। इसमें उनकी पत्नी और बेटी भी शामिल हैं जिनकी आय का कोई स्रोत नहीं है। कृपाशंकर सिंह पर दर्ज किए गए इस मामले की सबसे बड़ी वजह हैं वो 1 करोड़ 75 लाख रुपए जो उनके बेटे नरेंद्र और उनकी पत्नी के अकाउंट में आए। आरोप है कि ये पैसे जेल में बैठे झारखंड के पूर्व मुख्यमंत्री मघु कोड़ा ने हवाला के तौर पर ट्रांसफर किए गए थे।
आरोपों के मुताबिक 2008-09 में कृपाशंकर सिंह की पत्नी मालती देवी और उनके पुत्र नरेंद्र के अलग-अलग बैंक अकाउंट्स में 65 करोड़ रुपए डिपॉजिट हुए और ट्रांसफर भी हुए जिनकी कोई जानकारी मुहैया नहीं कराई गई और एंटी करप्शन विभाग ने इन लेनदेन पर सवाल खडे़ किए हैं। मार्च 2008-09 में ही टेलीकॉम घोटाले में फंसे शाहिद बलवा की कम्पनी डीबी रियल्टी से 4.5 करोड रुपए कृपाशंकर सिंह के बेटे और उनकी पत्नी के एकाउंट में ट्रांसफर हुए। हालांकि कृपाशंकर सिंह और उनके बेटे नरेंद्र ने सफाई दी कि ये पैसे उन्होंने किसी प्रोजेक्ट में इस्तेमाल के लिए लिए थे। बाद में इसे वापस भी किया था। लेकिन ये प्रोजेक्ट क्या था इस बारे में उन्होंने कोई जानकारी नहीं दी है।
मालूम हो कि 2009 में असेबंली इलेक्शन में कृपाशंकर सिंह कालिना से जीते लेकिन उनके चुनावी हलफनामें में उन चार संपत्तियों और उत्तरप्रदेश की उस जमीन का जिक्र बिल्कुल नहीं था जो उन्होंने भारी भरकम रकम देकर खरीदी है। ऐसे दर्जनों सवाल हैं जिनका सामना कृपाशंकर सिंह को देना है। कृपाशंकर सिंह के खिलाफ तीन एजेंसियां सीबीआई, ईडी और मुंबई पुलिस ने जांच कर अपनी रिपोर्ट बॉम्बे हाईकोर्ट को सौंपी है। मुंबई पुलिस को इसी रिपोर्ट के आधार पर जांच करनी है। मुंबई पुलिस को 19 अप्रैल को अपनी कार्रवाई और जांच की रिपोर्टबॉम्बे हाईकोर्ट को सौंपनी है
गौरतलब है कि एक सामान्य चपरासी से लेकर महाराष्ट्र कांग्रेस में दबदबा बनाने वाले कृपाशंकर सिंह का सफर किसी फिल्म सरीखा है। वो 1998 तक अपने परिवार में कमाने वाले एकलौते सदस्य थे। 1999 में विधायक बनने के बाद उनकी आय प्रति महीना 45,000 ही हुई लेकिन 1999 से लेकर 2009 तक उन्होंने एक दर्जन से भी ज्यादा जमीन, फ्लैट और अन्य अचल संपत्ति खरीदी। तकरीबन 320 करोड़ की ये जायदाद उनके और उनके रिश्तेदारों के नाम पर है। इसमें उनकी पत्नी और बेटी भी शामिल हैं जिनकी आय का कोई स्रोत नहीं है। कृपाशंकर सिंह पर दर्ज किए गए इस मामले की सबसे बड़ी वजह हैं वो 1 करोड़ 75 लाख रुपए जो उनके बेटे नरेंद्र और उनकी पत्नी के अकाउंट में आए। आरोप है कि ये पैसे जेल में बैठे झारखंड के पूर्व मुख्यमंत्री मघु कोड़ा ने हवाला के तौर पर ट्रांसफर किए गए थे।
आरोपों के मुताबिक 2008-09 में कृपाशंकर सिंह की पत्नी मालती देवी और उनके पुत्र नरेंद्र के अलग-अलग बैंक अकाउंट्स में 65 करोड़ रुपए डिपॉजिट हुए और ट्रांसफर भी हुए जिनकी कोई जानकारी मुहैया नहीं कराई गई और एंटी करप्शन विभाग ने इन लेनदेन पर सवाल खडे़ किए हैं। मार्च 2008-09 में ही टेलीकॉम घोटाले में फंसे शाहिद बलवा की कम्पनी डीबी रियल्टी से 4.5 करोड रुपए कृपाशंकर सिंह के बेटे और उनकी पत्नी के एकाउंट में ट्रांसफर हुए। हालांकि कृपाशंकर सिंह और उनके बेटे नरेंद्र ने सफाई दी कि ये पैसे उन्होंने किसी प्रोजेक्ट में इस्तेमाल के लिए लिए थे। बाद में इसे वापस भी किया था। लेकिन ये प्रोजेक्ट क्या था इस बारे में उन्होंने कोई जानकारी नहीं दी है।
मालूम हो कि 2009 में असेबंली इलेक्शन में कृपाशंकर सिंह कालिना से जीते लेकिन उनके चुनावी हलफनामें में उन चार संपत्तियों और उत्तरप्रदेश की उस जमीन का जिक्र बिल्कुल नहीं था जो उन्होंने भारी भरकम रकम देकर खरीदी है। ऐसे दर्जनों सवाल हैं जिनका सामना कृपाशंकर सिंह को देना है। कृपाशंकर सिंह के खिलाफ तीन एजेंसियां सीबीआई, ईडी और मुंबई पुलिस ने जांच कर अपनी रिपोर्ट बॉम्बे हाईकोर्ट को सौंपी है। मुंबई पुलिस को इसी रिपोर्ट के आधार पर जांच करनी है। मुंबई पुलिस को 19 अप्रैल को अपनी कार्रवाई और जांच की रिपोर्टबॉम्बे हाईकोर्ट को सौंपनी है
साभार : आईबीएन7 न्यूज
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