सुप्रिया रॉय
नई दिल्ली, 26 नवंबर- दिल्ली में उत्तर पूर्व की लड़कियों के साथ सामूहिक बलात्कार अब आम घटना बन गई है। ये लड़कियां पढ़ने या छोटे मोटे काम काज करने दिल्ली आती हैं और यहां वासना के अपराधियों का शिकार बन जाती है। यह संयोग नहीं हैं कि हवाई अड्डे के रास्ते पर धौलाकुंआ और आसपास का इलाका इन लड़कियों के लिए बहुत ज्यादा यातना की जगह बनता जा रहा है। उत्तर पूर्व की ज्यादातर लड़कियों का अपहरण और उनसे सामूहिक बलात्कार का ठिकाना भी धौलाकुंआ से मोतीबाग के बीच ही पाया गया है। सबसे आखिरी घटना में एक बीपीओ में काम करने वाली बीस साल की जो लड़की शिकार हुई उसने अभी तक खुद पर हमला करने वालों के रेखा चित्र बनाने में पुलिस के कलाकार की भरपूर मदद की है। यह लड़की चार साल पहले दिल्ली आई थी और अपनी बहन के साथ मोतीबाग इलाके में एक किराए के मकान में रह रही थी। गुड़गांव के एक कॉल सेंंटर में वह काम करती थी और कॉल सेंटर की गाड़ी जब उसे छोड़ने आई तो गुंडो ने उसे उठा लिया। 2005 में धौलाकुंआ से ही एक मिजोरमवासी युवती का अपरहरण कर के उससे सामूहिक बलात्कार किया गया था। पुलिस के अनुसार ये लड़कियां मुनीरका, महिपालपुर, मोती बाग, मोहम्मदपुर, नानकपुरा, फ्रेंड्स कॉलोनी के अलावा विश्वविद्यालय कैंपस के आस पास भी रहती है। धौलाकुंआ इलाके से मंगलवार देर रात कॉल सेंटर कर्मी युवती के अपहरण व बाद में गैंग रेप ने पुलिस को एक बार फिर कटघरे में खड़ा कर दिया है। घटना बीते 48 घंटे हुए लेकिन पुलिस के हाथ अभी तक कोई सुराग नहीं लगा है। प्रारंभिक जांच में जो बातें सामने आई की उसने भी पुलिस कार्यशैली पर ही प्रश्नचिन्ह लगा दिया है। हालांकि पुलिस ने सामने एक व्यक्ति आया है, जिसने घटना से पहले आरोपियों से बातचीत होने का दावा किया है। फिलहाल अभी तक की जांच में पुलिस की लापरवाही व आरोपियों द्वारा प्रयुक्त वाहन में नंबर प्लेट न होने की बात सामने आई है। पुलिस ने जांच के लिए पंद्रह टीमें तैनात की हैं। घटनाक्रम की जांच के दौरान पुलिस के सामने जो बातें आई है, उसमें भी उनकी फजीहत हो गई है। प्रारंभिक जांच में सामने आया है कि वारदात को अंजाम देने के बाद बदमाश जिस रास्ते से गुजरे थे उनपर तीन जगह सीसीटीवी कैमरे लगे हुए थे। लेकिन एक कैमरा खराब था तो दूसरे का फोकस आउट था। सड़क पर अंधेरा होने के चलते तीसरे कैमरे से भी कोई सफलता नहीं मिली। ऐसे में इन कैमरों से चप्पे-चप्पे पर नजर रखने के दिल्ली पुलिस के दावे की हवा निकल गई है। पुलिस अधिकारियों को शक है कि वारदात में मेवाती या सामान ढोने वाले अपराधी प्रवृति के मजदूर शामिल हो सकते हैं।दक्षिण जिला पुलिस उपायुक्त हरगोविंद सिंह धालीवाल के अनुसार पीड़ित युवती से आरोपियों के हुलिये के संबंध में पूछताछ की जा रही है। युवती ने बताया है कि एक आरोपी ने पट्टीनुमा ऊनी कपड़ा कान पर चढ़ा रखा था। युवती फिलहाल पूर्वोत्तार राज्य की महिलाओं के लिए काम करने वाली एक एनजीओ के पास है। उन्होंने बताया कि एक व्यक्ति पुलिस के संपर्क में आया है जो आरोपियों को देखने एवं उनसे बातचीत करने का दावा कर रहा है। उसके अनुसार सभी युवक कपड़ों से श्रमिक लग रहे थे। उनकी गाड़ी भी काफी गंदी थी, जो पत्थर, टेंट या पानी ढोने वाला वाहन हो सकता है। पुलिस उस व्यक्ति से आरोपियों का हुलिया जानने का प्रयास कर रही है। युवती व इस व्यक्ति से पूछताछ केआधार पर शुक्रवार को आरोपियों के रेखाचित्र तैयार करवाए जाएंगे। उधर, घटना से सबक लेते हुए पुलिस ने बृहस्पतिवार कॉल सेंटर संचालकों की मीटिंग बुलाकर उन्हें महिला कर्मियों की सुरक्षा के लिए तय मानक अपनाने का निर्देश दिया है। कॉल सेंटर संचालकों से कहा गया कि जहां तक संभव हो महिलाओं को नाइट शिफ्ट में न लगाया जाए। यदि जरूरी है तो चालक या सिक्योरिटी गार्ड उन्हें घर के अंदर पहुंचने तक मौके पर रुके। महिला यदि गली में रहती है तो उसे दरवाजे तक छोड़कर आए। धौलाकुंआ के समीप मोची गांव में रहने वाली पूर्वोत्तार राज्य की युवती मंगलवार देर रात अपनी आफिस की कैब से सहेली के साथ घर के पास उतरी। तभी एक पिकअप वैन सवार चार युवकों ने उसका अपहरण कर लिया और चलते वाहन में उसके साथ गैंग रेप किया। इस घटना में इन युवकों के चंगुल से बच गई पीड़िता की सहेली ने पुलिस को घटना की जानकारी दी थी।
साभार : www.datelineindia.com
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