Feature

Nandita Mahtani hosts a birthday party for Tusshar Kapoor

http://www.sakshatkar.com/2017/11/nandita-mahtani-hosts-birthday-party.html

सीएनईबी में करिश्मा दिखा पाएंगे अनुरंजन?

सीएनईबी के नए चीफ आपरेटिंग आफिसर (सीओओ) और एडिटर इन चीफ अनुरंजन झा से आप ईर्ष्या कर सकते हैं और सीख भी सकते हैं. ईर्ष्या इसलिए कर सकते हैं कि कम उम्र में ही इस व्यक्ति ने पत्रकारिता की उस उंचाई को छू लिया है जिसे पाने की हसरत तमाम लोग ता-उम्र लिए रहते हैं. और खासबात ये कि उन्होंने राहुल देव जैसे वरिष्ठ पत्रकार को रिप्लेस कर सीएनईबी की कमान संभाली है. सीख इसलिए सकते हैं कि पत्रकारिता में रहने के साथ-साथ ही अनुरंजन झा अपने सरोकारों को भी जीते रहते हैं. राजनीति से लेकर समाजसेवा तक के काम को वे बखूबी जारी रखे हुए हैं. वे एक बातचीत में कहते हैं कि मैं तो बिहार चुनाव से ठीक पहले चुनाव लड़ने की तैयारियों में व्यस्त था, मौर्य टीवी के लिए चुनाव पर एक कार्यक्रम तैयार करने में मशगूल था तभी आदेश आया कि मुझे सीएनईबी की कमान संभालनी है.

अनुरंजन कहते हैं कि इसे मैंने ईश्वरीय अनुकंपा माना, उपर वाले का आदेश माना और निभाने आ गया. ट्रस्ट के जरिए अस्पताल बनवाकर गरीबों की सेवा करने वाले अनुरंजन झा ने सीएनईबी में आते ही चैनल को एक ऐसी सफलता दिलाई है जिस पर उन्हें खुद भरोसा नहीं हो रहा है. बिहार चुनाव में मतगणना के दिन सीएनईबी चैनल नंबर वन बन गया. ऐसा टैम वालों की रिपोर्ट कहती है. भड़ास4मीडिया के एडिटर यशवंत सिंह के साथ एक वीडियो इंटरव्यू के दौरान बातचीत की शुरुआत अनुरंजन झा इसी सफलता से करते हैं. बिना मुगालता पाले अनुरंजन साफ करते हैं कि बारह नंबर का यह चैनल अगर अचानक एक नंबर पर एक दिन पहुंच जाता है तो इससे जाहिर है कि हम नंबर छह पर आने की हैसियत तो रखते ही हैं और जल्द ही इस मिशन को पूरा किया जाएगा. राहुल देव की सीएनईबी से विदाई, सीएनईबी को लेकर अनुरंजन झा की योजनाएं, निजी जीवन की आकांक्षाओं-महत्वाकांक्षाओं, खुद के गुस्से, आध्यात्मिक रुझान आदि के बारे में अनुरंजन ने विस्तार से बातचीत यशवंत सिंह के साथ की.

अनुरंजन बताते हैं कि नीरा राडिया टेप कांड को जिस तरह सीएनईबी ने अपने यहां लगातार पेश किया, (एक दिन का शो देखें- टेप एक और टेप दो), वह किसी और चैनल में किसी को देखने को नहीं मिला होगा. टेलीविजन को पैशन और प्यार की तरह जीने वाले अनुरंजन उन दिनों को याद करते हैं जब उनके साथी कहा करते थे कि आफिस का काम तो आठ घंटे का हुआ करता है, तुम जी न्यूज के आफिस में दो-दो दिन तक क्यों रुक कर काम करते रहते हो, इससे क्या मिलेगा. वह दौर अनुरंजन के करियर का शुरुआती दौर था. अनुरंजन याद करते हैं कि सरकारी नौकरी छोड़कर पत्रकारिता में आने के कारण वे न्यूज चैनल के काम को कभी नौकरी की तरह नहीं लेते और न ही इस काम में कभी अनिर्णय की स्थिति में आते हैं. जो कुछ करना है, फटाफट फैसले करो ताकि दर्शकों को न्यूज चैनलों पर बोरियत व पुरानेपन का अनुभव न हो. अनुरंजन से बातचीत का 20 मिनट का वीडियो नीचे दिए गए वीडियो प्लेयर पर क्लिक करके देखें और सुनें.....

Sabhaar : bhadas4media.com

No comments:

Post a Comment

Famous Post