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Nandita Mahtani hosts a birthday party for Tusshar Kapoor

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करोड़ों के घपले में रंगे हैं बसपा सांसद अखिलेश दास के हाथ


इंडियन मर्केंटाइल कोऑपरेटिव बैंक का काला कारनामा-1 : आरबीआई ने बोर्ड भंग कर बैंक में तैनात किया प्रशासक, अरबों रुपए डूबेंगे सरकारी विभागों के : लखनऊ। बसपा सांसद अखिलेश दास गुप्ता का इंडियन मर्केंटाइल कोऑपरेटिव बैंक गठन से लेकर अब तक विवादों में रहा है। बैंक  ने नियम-कानून ताक पर रखकर कई घपले किए, लेकिन ऊंची पहुंच के कारण मामला ठंडे बस्ते में चला गया। सांसद ने घपलों की आंच से खुद को बचाने के लिए पहले खुद बैंक के चेयरमैन और बाद में अपनी पत्नी अल्का दास को किनारे कर डमी (रबर स्टैम्प) बोर्ड का गठन कर दिया।
मामला संवेदनशील होने के कारण भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने बैंक के बोर्ड को भंग करते हुए प्रशासक तैनात कर दिया है। इससे यहां जमा सरकारी विभागों के अरबों रुपए डूबने की संभावना है। इंडियन मर्केंटाइल कोऑपरेटिव बैंक को वर्ष 1989 में बैंकिंग लाइसेंस मिला था। 1989 से लेकर 1997 तक अखिलेश दास बैंक के चेयरमैन रहे। 1998 से लेकर 28 दिसम्बर 2001 तक सांसद अखिलेश दास गुप्ता की पत्नी अल्का दास गुप्ता बैंक की चेयरमैन रहीं। इन दोनों की चेयरमैनशिप के दौरान बैंक में कई बड़ी विžाीय अनियमितताओं का खेल हुआ। वर्ष 2001-02 में सीबीआई सिटी कोऑपरेटिव बैंक, कमल इंफोसिस, साइबर स्पेस और केतन पारिख के घपलों की जांच कर रही थी।
इन घपलों में इंडियन मर्केंटाइल कोऑपरेटिव बैंक भी शामिल था। घपलों में फंसे सिटी कोऑपरेटिव बैंक, कमल इंफोसिस, साइबर स्पेस और केतन पारिख ने इंडियन मर्केंटाइल बैंक से करोड़ों रुपए का लेन-देन किया था। लेकिन बसपा सांसद अखिलेश दास गुप्ता की ऊंची पहुंच के कारण सीबीआई ने इन तथ्यों को नजरअंदाज किया था। यूपी सरकार के प्रतिबंध के बावजूद नोएडा विकास प्राधिकरण, मंडी परिषद, राज्य हज कमेटी, उत्तर प्रदेश आवास विकास परिषद, उत्तर प्रदेश भूमि सुधार निगम, नेशनल एग्रीकल्चर, यूपी टूरिज्म, प्रदूषण नियंत्रण कंट्रोल बोर्ड, जल निगम, सिंचाई विभाग और अन्य वित्तीय संस्थाओं ने करोड़ों रुपए इंडियन मर्केंटाइल कोऑपरेटिव बैंक में जमा किए। सबसे रोचक बात यह है कि इन सरकारी विभागों की मिलीभगत के चलते बैंक में करोड़ों रुपए ओपन एफडीआर अर्थात परिपक्वता की सीमा को तय किए बगैर जमा किए गए।
इन घपलों की आंच से खुद और पत्नी अल्का दास गुप्ता को बचाने के लिए अखिलेश दास गुप्ता ने 2001 में बैंक के चेयरमैन का पद छोड़ दिया। 28 दिसम्बर 2001 से लेकर 16 जून 2009 तक बैंक के बोर्ड में चेयरमैन पद पर राजकुमार राय, उपाध्यक्ष राकेश मोहन गर्ग, निदेशकों में मनवीर सिंह, फूलमती, सुधर्ण सिंह, धर्म सिंह, सोनू मेहरोत्रा, सुधरमा सिंह, कृष्ण गोपाल, सविता, दलीप सिंह, अरुण गुप्ता, दिनेश बिहारी, सीपी शुक्ला और अमित श्रीवास्तव थे। भारतीय रिजर्व बैंक ने इंडियन मर्केंटाइल बैंक की विžाीय अनियमितताओं को देखते हुए 16 जून 2009 को बोर्ड भंग कर दिया था। बोर्ड भंग करने के साथ ही आरबीआई ने प्रशासक तैनात कर दिया है। रिजर्व बैंक ने अपनी जांच रिपोर्ट में उल्लेखित किया है कि बैंक के चेयरमैन राजकुमार राय बैंक के कार्यों में रुचि नहीं लेते हैं। साथ ही अंगूठाटेक भी हैं।
आरबीआई की इस टिप्पणी ने साबित कर दिया कि अखिलेश दास गुप्ता के चेयरमैनशिप के दौरान बैंक में हुई वित्तीय अनियमिताओं से बचने के लिए डमी (रबर स्टैम्प) चैयरमैन तैनात किया गया। मौजूदा समय इंडियन मर्केंटाइल बैंक का संचालन प्रशासक कर रहे हैं। आरबीआई के इस कदम ने साबित कर दिया कि इंडियन मर्केंटाइल बैंक की वित्तीय स्थिति ठीक नहीं है। इससे बैंक में जमा सरकारी विभागों के करोड़ों रुपए डूबने की संभावना है। इंडियन मर्केंटाइल बैंक में सरकारी विभागों के जमा धन के बारे में किसी भी सरकारी विभाग के मुखिया ने मुंह खोलने से इनकार दिया है। प्रमुख सचिव सहकारिता और रजिस्ट्रार संजय अग्रवाल के मोबाइल नं. 9415330456 पर सम्पर्क करने पर उन्होंने इस मामले पर टिप्पणी करने से मना कर दिया। इस प्रकरण पर अखिलेश दास गुप्ता से उनके मोबाइल नं. 09999004444, 09919604000, 09810143737 पर कई बार सम्पर्क किए जाने पर प्रतिक्रिया नहीं मिल पाई।
लखनऊ और इलाहाबाद से प्रकाशित हिंदी दैनिक डेली न्यूज एक्टिविस्ट में रिपोर्टर राजेन्द्र के. गौतम के नाम से यह बाइलाइन खबर प्रकाशित हुई है. वहीं से साभार लेकर खबर को यहां प्रकाशित किया गया है
Sabhar:- Bhadas4media.com.

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