बाजारवादी कुत्ता बड़ा खतरनाक है भाई : तहलका के 15 नवंबर का ताज़ा अंक. पृष्ठ संख्या 22 पलटिए. देखिये एक पूरे पृष्ठ पर छपे आँखों में ताकत का गुरूर लिए एक नायक की तस्वीर. आगे कहानी पढ़िए आस्था अत्रे की. मुख्य पंक्तियों की बानगी देखिये. ''बाल ठाकरे के पोते का राजनीतिक पदार्पण जिस तेवर के साथ हुआ है, क्या उससे शिवसेना के भविष्य के लिए कुछ उम्मीदे जगती हैं.'' किस उम्मीद की बात कर रहे हैं आस्था साहब. शिवसेना में आपकी आस्था तो साफ झलक रही है. नाम खराब करने को तहलका ही बचा था क्या जो पूरी कहानी में आप साहबजादे का गुणगान करते चले गए.
तहलका एक ऐसी पत्रिका है जिसे घनघोर अंधेरे में एक चिराग कहा जा सकता है लेकिन तहलका में शिवसेना के इस नए महारथी का ऐसा गुणगान कि पूरी कहानी पढ़ने के बाद ऐसा लगे कि शिवसेना ने किसी महानायक को भारतीय राजनीति के अखाड़े में पार्टी उद्धारक के रूप में उतारा है. हो सकता है कि तहलका महाराष्ट्र में अपना जड़ जमाना चाहती हो लेकिन ये तरीका ठीक नहीं है. इस तरह से तो तहलका जैसी पत्रिका भारत में वंशवादी राजनीति को महिमामंडित कर के खुद अपने ईमानदार पाठकों को ठग रही है.
जनाब, इस महानायक के पक्ष में रिपोर्टर साहब ने बड़े बड़े राजनेताओं और साहित्यकारों के वक्तव्य लिए हैं. शुरू से अंत तक कहानी कही से भी शिवसेना की आलोचना करती नहीं दिखती बल्कि इस ढंग से कहानी गढी गयी है कि आपको लगेगा कि भारतीय राजनीति में एक नए नक्षत्र या ध्रुवतारे का उदय हुआ है. और तो और तहलका ने जनहित की ख़बरों को इसके बाद जगह दिया है, हो सकता है कल को ये हाशिए पर जाकर लुप्त हो जाएँ तो आश्चर्य नहीं.
विश्वसनीय मीडिया के माध्यम से किसी का प्रचार नया नहीं है. इससे पहले भी राहुल गांधी को महानायक बनाने में हिंदुस्तान टाइम्स ग्रुप वर्षों से सक्रिय है. राहुल गांधी से जुडी खबरें उनको दुनिया की सभी ख़बरों से महत्वपूर्ण लगती हैं. हिदुस्तान टाइम्स के लिए तो ठीक है क्योंकि वो कांग्रेस की बपौती है लेकिन तहलका जैसी पत्रिका भी मीडिया प्रचार में किसी का साथ देने लगे तो मीडिया की इज्ज़त पर जो बचा खुचा चीथड़ा है वो भी बाजारवादी कुत्ता खींच ले जायेगा.
बाजारवादी कुत्ता बड़ा खतरनाक है भाई, भविष्य में कुछ भी हो सकता है. कौन जाने किसका ईमान कब डोल जाए और यह कुता उसे काट ले. देखते हैं तहलका खुद को इस कुत्ते से बचा पाती है कि नहीं. उम्मीद तो कम ही है. तहलका विभिन्न राज्यों में अपना विस्तार कर रही है और उम्मीद है कि बाजारवादी कुत्ते के कई पिल्ले उसमे घुसपैठ करेंगे और तहलका के साथ बलात्कार करेंगे.
यह पत्र के। राजीव नामक सज्जन ने भड़ास4मीडिया के पास भेजा
तहलका एक ऐसी पत्रिका है जिसे घनघोर अंधेरे में एक चिराग कहा जा सकता है लेकिन तहलका में शिवसेना के इस नए महारथी का ऐसा गुणगान कि पूरी कहानी पढ़ने के बाद ऐसा लगे कि शिवसेना ने किसी महानायक को भारतीय राजनीति के अखाड़े में पार्टी उद्धारक के रूप में उतारा है. हो सकता है कि तहलका महाराष्ट्र में अपना जड़ जमाना चाहती हो लेकिन ये तरीका ठीक नहीं है. इस तरह से तो तहलका जैसी पत्रिका भारत में वंशवादी राजनीति को महिमामंडित कर के खुद अपने ईमानदार पाठकों को ठग रही है.
जनाब, इस महानायक के पक्ष में रिपोर्टर साहब ने बड़े बड़े राजनेताओं और साहित्यकारों के वक्तव्य लिए हैं. शुरू से अंत तक कहानी कही से भी शिवसेना की आलोचना करती नहीं दिखती बल्कि इस ढंग से कहानी गढी गयी है कि आपको लगेगा कि भारतीय राजनीति में एक नए नक्षत्र या ध्रुवतारे का उदय हुआ है. और तो और तहलका ने जनहित की ख़बरों को इसके बाद जगह दिया है, हो सकता है कल को ये हाशिए पर जाकर लुप्त हो जाएँ तो आश्चर्य नहीं.
विश्वसनीय मीडिया के माध्यम से किसी का प्रचार नया नहीं है. इससे पहले भी राहुल गांधी को महानायक बनाने में हिंदुस्तान टाइम्स ग्रुप वर्षों से सक्रिय है. राहुल गांधी से जुडी खबरें उनको दुनिया की सभी ख़बरों से महत्वपूर्ण लगती हैं. हिदुस्तान टाइम्स के लिए तो ठीक है क्योंकि वो कांग्रेस की बपौती है लेकिन तहलका जैसी पत्रिका भी मीडिया प्रचार में किसी का साथ देने लगे तो मीडिया की इज्ज़त पर जो बचा खुचा चीथड़ा है वो भी बाजारवादी कुत्ता खींच ले जायेगा.
बाजारवादी कुत्ता बड़ा खतरनाक है भाई, भविष्य में कुछ भी हो सकता है. कौन जाने किसका ईमान कब डोल जाए और यह कुता उसे काट ले. देखते हैं तहलका खुद को इस कुत्ते से बचा पाती है कि नहीं. उम्मीद तो कम ही है. तहलका विभिन्न राज्यों में अपना विस्तार कर रही है और उम्मीद है कि बाजारवादी कुत्ते के कई पिल्ले उसमे घुसपैठ करेंगे और तहलका के साथ बलात्कार करेंगे.
यह पत्र के। राजीव नामक सज्जन ने भड़ास4मीडिया के पास भेजा
साभार : भड़ास ४ मीडिया .कॉम
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